उद्घोषणा लेखन
जनसंचार माध्यम रेडियो द्वारा जब भी कोई कार्यक्रम प्रस्तुत करना होता है तो इसके पूर्व उद्घोषक उद्घोषणा के द्वारा कार्यक्रम, केंद्र तथा समय की जानकारी श्रोताओं को देता है। सुबह से रात तक के कार्यक्रमों की एक रूपरेखा प्रस्तुत कर देता है। डॉक्टर मधुकर गंगाधर ने लिखा है कि "यह उद्घोषणा वास्तव में एक मुनादी है, यह रंगमंच पर होने वाले नाटकों का सूत्रधार है, जो आगे आने वाले कार्यक्रम के संबंध में संक्षिप्त और रोचक तरीके से श्रोताओं को आकर्षित करता है और उन्हें रेडियो सेटस से न उठने देने के लिए विवश करता है।" वे आगे लिखते हैं कि "आकाशवाणी के कार्यक्रमों में उद्घोषणा का बड़ा ही महत्व है। जिस प्रकार पूजा के लिए धूप-दीप वातावरण निर्माण करता है उसी प्रकार उद्घोषणा भी कार्यक्रम की रूपरेखा बनाती है।"
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक उद्घोषक द्वारा की गई व्यवस्थित उद्घोषणा कार्यक्रमों में जान ला देती है, सुनने वालों को कार्यक्रमों के प्रति आकर्षण होता है ।
ठीक इसके विपरीत यदि उद्घोषक या एनाउंसर कार्यक्रमों की उद्घोषणा ठीक से नहीं करता तो "पहले ही कौर में मक्खी का गिरना" वाली कहावत चरितार्थ होती है और श्रोता का मन उखड जाता है। इसलिए उद्घोषणा वस्तुतः कार्यक्रम का 'लेबुल' है। एक अच्छा सेल्समैन जानता है कि 'लेबल' का असर माल की बिक्री पर कितना पड़ता है।
उद्घोषणा मूलरूप से श्रोताओं को यह बताती है कि अब कौन सा कार्यक्रम होने जा रहा है। किस केंद्र से कार्यक्रम में 'रिले' किए जा रहे हैं। कितना समय हुआ है। यानी एनाउंसर का काम सूचना देना है। श्रोता अपने को अब अमुक कार्यक्रम के लिए तैयार करें। इस तरह की घोषणा निम्नांकित ढंग से की जाती है-
यहां आकाशवाणी बालाघाट है। मीडिया वेब 102.3 मीटर यानी 102.3 किलो हर्ट्ज पर। इस समय प्रातः 6:05 हुए हैं। अब प्रारंभ होता है हमारा भजनों का कार्यक्रम सुगितम।
इस उद्घोषणा में यह सूचित किया जाता है कि कौन सा केंद्र है, कितना समय है और कौन सा कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। यह उद्घोषणा तथ्यपरक है अतः इसे सीधे शब्दों में, छोटे-छोटे वाक्यों में साफ-साफ अभिव्यक्ति के साथ लिखा जाना चाहिए।
ऐसी तथ्यपरक उद्घोषणा के लिए कुछ बातें दृष्टव्य हैं-
- कौन सा केंद्र है।
- कौन सा कार्यक्रम है।
- क्या समय हुआ है।
- कोई विशेष सूचना अगर देनी हो।
जैसे- सदाबहार नग्में।
यह आकाशवाणी भोपाल है अब प्रेषित है एक नाटक तेरी मेरी बात नहीं। लेखक और प्रस्तुतकर्ता हैं रमा भारद्वाज।
प्रत्येक कार्यक्रम की प्रारंभिक और अंत की उद्घोषणा होती है। अंग्रेजी में इसे 'ओपनिंग' तथा 'क्लोजिंग' कहते हैं। नाटक की क्लोजिंग अनाउंसमेंट इस प्रकार होगी।
"अभी आप नाटक सुन रहे थे 'लोरिक चंदा'। लेखक और प्रस्तुतकर्ता थे 'सामनाथ।' इसमें भाग लेने वाले कलाकार थे खिलावन पटेल। यह कार्यक्रम भोपाल आकाशवाणी केंद्र से प्रसारित किया गया।"
कुछ घोषणाएं कार्यक्रम पर आधारित होते हैं। जैसे - कल 15 अगस्त है (आनंद और उत्साह भरा राष्ट्रीय पर्व।) इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री जनता के नाम संदेश प्रसारित कर रहे हैं।
इसी प्रकार-
"अभी आप ग्रामीण भाइयों का कार्यक्रम चौपाल सुन रहे थे। 8:02 होने को है। अब कुछ ही क्षणों में समाचार होंगे।
अभी आप श्रीमती प्राची चौबे से ठुमरी सुन रहे थे। रात के 11:00 बज रहे हैं और हमारी अंतिम बैठक समाप्त हो रही है। कल सुबह तक के लिए हमें विदा दीजिए। शुभ रात्रि"
इन घोषणाओं से स्पष्ट होता है कि उद्घोषणा लेखन में निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं -
- सूचना
- उत्सुकता
- रोचकता
- संक्षिप्तता
- सुलझी हुई अभिव्यक्ति
- सरलता
- तथ्यपरकता
- विविधता
डॉ मधुकर गंगाधर ने अपने उद्घोषणा संबंधी लेख में लिखा है कि -
"उद्घोषणा और मुख्य रूप से कार्यक्रम की सूचना है, किंतु होशियार उद्घोषणा लेखक मात्र चंद शब्दों के प्रयोग से उसे ऐसा बना लेते हैं कि कार्यक्रम के प्रति सूचना तो मिलती ही है, सुनने की जिज्ञासा भी उत्पन्न हो जाती है। अतः एक अच्छे उद्घोषणा के लिए यह आवश्यक है-
- सूचना
- उत्सुकता
- रोचकता
यह लेखक पर निर्भर करता है कि वह इन तीन गुणों का को चंद वाक्यों में कैसे पिरोता है। इसके अलावा संक्षिप्तता तथा सुलझी अभिव्यक्ति उद्घोषणा के लिए अनिवार्य शर्त है।"
Image by Khilawan |
Udghoshna lekhan?
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