4. आधुनिक भारतीय नारी
अथवा
भारतीय नारी का महत्व पर निबंध
Hello and welcome Friends पिछले पोस्ट में हमने आप लोगों को बताया था, जीवन में खेलों के महत्व पर निबंध के बारे में, आज का यह हमारा पोस्ट चौथा नंबर का पोस्ट है जिसमें आज हम आधुनिक भारतीय नारी अथवा भारतीय नारी का महत्व पर निबंध लिखने वाले हैं और जानने वाले हैं की किस प्रकार से इस निबंध को लिखा जाए जिससे अधिक नंबर मिले।
इससे पहले जो हमने तीन पोस्ट लिखे थे वह इस प्रकार हैं -
- जीवन में खेलों का महत्व | Importance of Game in life essay in hindi
- विज्ञान के बढ़ते चरण - Wonder of Science Essay more than 250 words for class 12
- विद्यार्थी जीवन और अनुशासन निबंध - Essay on student life and discipline in hindi
आप चाहे तो पढ़ सकते हैं, आइये सबसे पहले चर्चा करते हैं रुपरेखा के बारे में रूपरेखा किसी भी निबंध का नीव मानिये क्योंकि कोई भी निबंध इसी के अनुसार आगे अच्छे से डील किया जा सकता है।
इस प्रकार इस निबंध की रूपरेखा यह रही -
- प्रस्तावना
- प्राचीनकाल में नारी
- आधुनिक नारी
- उपसंहार
जैसे की नाम से ही पता चल रहा है प्रस्ताव अर्थात किसी बात को एक दूसरे व्यक्ति के सामने में प्रस्तुत करना। प्रस्तावना को एक प्रकार से किसी भी निबंध का हम परिचय मान सकते हैं। तो यह एक संक्षिप्त जानकारी उस निबंध के विषय में प्रस्तुत कर देता है जिसके बारे में हम लिखने वाले होते हैं।
प्रस्तावना की शुरुआत एक अच्छे कविता की पंक्तियों से भी की जा सकती है जरूरी नही है की निबंध है तो हम सिर्फ गद्य के माध्यम से शुरुआत करें।
जैसे की इस निबंध में शुरू किया गया है। वैसे ही आप किसी भी निबंध में शुरुआत कर सकते हैं ताकि पढ़ने वाले के मन में रोचकता और बढ़े और वह अच्छे से आप जो कहना चाहते हैं उसे समझ सके।
1. प्रस्तावना -
जयशंकर प्रसाद ने बहुत पहले ही महत्ता को पुरुषों के जीवन के लिए अति आवश्यक बताया है। भारतीय नारी श्रद्धा, दया, ममता, मधुरता और गहरे विश्वास से युक्त है। उसका ह्रदय सुन्दर गुणों का खजाना है. वह स्वभावत: देवी है. दुखियों पर दया करना, ममत्वपूर्ण अपने पुत्रों का पालन-पोषण करना, अपनी मधुरता से घर परिवार को सरस रखना, अपने विश्वास को पति पर अर्पित करके जन्म-जन्मान्तर तक पूजा करना-ये ही भारतीय नारी के लक्षण हैं . इन्हीं गुणों के कारण वह हमेशा सम्मान की पात्र रही हैं .
“नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास रजत नग पग पल में,
पीयूष स्त्रोत-सी बहा करो,
जीवन के सुन्दर समतल में “.
2. प्राचीन काल में नारी –
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः .“ जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं . वैदिक काल में धार्मिक अनुष्ठान में नारी की उपस्थिति अनीवार्य थी . कोई भही क्षेत्र नारी के लिए प्रतिबंधित नहीं था . युद्ध स्थल में नारी ने अपनी वीरता का प्रदर्शन किया . अपने पति को युद्ध क्षेत्र में खुशी से भेज देती थीं . आरती उतार कर रण क्षेत्र में भेजना, रण में कायरता न दिखाने का संदेश देना और रण में पति के मारे जाने पर दुःख प्रकट करना, ये उनकी वीरता का परिचायक था . पति को वीरगति पाने पर वे कहा करती थी –
“ भल्ला हुआ जो मारियाँ, बहिणी म्हारा कंतु .
ल्ज्जेनुं तु वयं सिंह, ज्यों घर आया अंतु .”
पीठ दिखाकर अर्थात युद्ध क्षेत्र में कायरता प्रदर्शित करने वाले पति को उस समय वाली नारी डरपोक पति की संज्ञा देती थी. लेकिन युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाले पति के लिए दुःख प्रकट न कर वीर क्षत्राणी का परिचय देते हुए गौरव का अनुभव करती थीं .
भारत में मुस्लिमों के आक्रमण ने नारी के सम्मान को धूमिल किया . वह भोगविलास की सामग्री बन गई . सुरक्षा के लिए इस युग में अहिल्याबाई, पद्मिनी, दुर्गावती ने अपने जौहर दिखाकर भारतीय नारियों को बलिदानी भाव का संदेश दिया . 1857 ई. में स्वतन्त्रता संग्राम में अपने आपको झोंक कर रानी लक्ष्मीबाई ने नारी ह्रदय की कुंठित भावनाओं को ऊपर उठने हेतु आक्रोशित किया .
3. आधुनिक नारी –
सारे झंझावातों से जूझते हुए भी आज की नारी अपनी मर्यादा, लज्जा और सम्मान को सुरक्षित रखी हुई है, जो विश्व में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं . आज वह ‘लज्जा की गुडिया’ नहीं बल्कि पुरुष की सहयोगिनी, जीवन संगिनी और सहधर्मिणी है . वह अपने घर और समाज के लिए सदा समर्पण करने को तत्पर रहती हैं .
आधुनिक युग की नारी पश्चात्य सभ्यता में घुलती नजर आ रही है . वह अपने कर्तव्यों से विमुख होती प्रतीत हो रही है , जिसके कारण परिवारिक विघटन भी होने लगा है . फिर भी नारी वर्तमान काल में भारतीय नारी सभी क्षेत्रों में पुरुषों को चुनौती दे रही है . चिकित्सा, शिक्षा, राजनीति एवं सेवा के क्षेत्र में वह बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं . नारी आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र हो, शिक्षित हो, पुरुष की दासता से मुक्त हो, यह अच्छी बात है, किन्तु स्वतन्त्रता की अतिरेक न पुरुष के लिए शुभ है और न नारी के लिए . पुलिस और प्रशासन जैसे कठोर कर्मों में भी वह अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रही है . वह कुशल कर्मों में भी वह अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रही है . वह कुशल वायुयान-चालिका, सैनिक, वक्ता, प्रवक्ता और मेधावी व्याव्सायिका भी सिद्ध हो चुकी हैं .
इतना ही नहीं, अब तो उन्होंने पूरी दुनिया में सिद्ध कर दिखाया है कि महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक क्रियाशील, ईमानदार तथा कुशल प्रशासक होती है . अमेरिका और ब्रिटेन में ही चले जाएँ तो दुनिया के शक्तिशाली देशों में गिने जाते हैं, वहाँ भारत की महिलाएं चिकित्सा, कानून तथा फिल्म निर्माण के क्षेत्रों में पुरुषों से कहीं आगे हैं .
भारत की आधुनिक महिलाओं की बात करते हुए हम केवल अन्तरिक्ष विज्ञान प्रशासन तथा खेल को ही ले तो जो नाम सबसे पहले हमारे आते हैं वे है – कल्पना चावला, किरण बेदी एवं बच्छेन्द्री पाल . ये तीनों महिलाएँ अब भारतीय महिला के अदम्य साहस, बुद्धि कौशल और कर्तव्य निष्ठा का प्रतीक बन चुकी हैं . ये महिलाएं किसी बहुत बड़ा या सम्पन्न परिवार से नहीं आयी हैं . न इन्होनें अधिक अपने साहस और आत्मविश्वास के बल लोगों के विरोध या प्रतिकार पर ध्यान नहीं दिया और अपने लक्ष्य की तरफ आगें बढती रहीं .
कहने का तात्पर्य है कि अदम्य साहस और आत्मविश्वास के बल पर भारतीय महिलाओं ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है . बहुत साधनों के न होते हुए भी उन्होंने लक्ष्य प्राप्ति में आने वाली कठिनाइयों के सामने कभी घुटने नहीं टेके . उन्होंने सिध्द कर दिखाया कि अगर व्यक्ति में आत्मविश्वास, लगन साहस और दृढ इच्छाशक्ति हो तो आभाव या अन्य कोई भी कठिनाई उसका रास्ता नहीं रोक सकती .
4. उपसंहार –
पन्त ने कहा था, ‘मुक्त करो नारी को’ आज वही नारी स्वयमेव अपने बंधन की जंजीरों को तोडकर मुक्त हो रही है . आज की नारी संघर्ष नहीं, त्याग और ममता की देवी बने, वह शक्ति बने और दानवों का विनाश करे तो निश्चय ही वह नव-निर्माण की शक्ति बन सकती है, जो मनुष्य को देवत्व की ओर ले जाने में अपनी अहम् भूमिका निभाएगी .
इस प्रकार हमारा निबंध पूरा होता है आपके कोई सवाल हो या सुझाव हो निचे दिए लिंक के माध्यम से जरूर बताएं।
धन्यवाद !
क्या आपको और किसी भी टॉपिक पर निबंध चाहिए हमें जरूर बताएं !
Click Here for suggestion
Post a Comment