चलिए शुरू करते हैं आज का निबन्ध –
यातायात-नियमों के पालन की आवश्यकत
अथवा
सडक दुर्घटना जिम्मेदार कौन?
किसी भी निबंध को लिखने से पहले रूपरेखा तैयार किया जाता है आइये देखें इसकी रुपरेखा कैसी रहनी चाहिए -
रूपरेखा - 1. प्रस्तावना
2. सड़क दुर्घटना के कारण -
1. जल्दबाजी में ट्रैफिक ध्यान ने देना
2. खराब सड़कें
3. अंधमोड़
4. ओवरटेक, आदि
3. सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए सरकार के द्वारा किये गए प्रयास
4. उपसंहार।
1. प्रस्तावना – सड़क यातायात सुचारू रूप से हो सके इसके लिए कानून बनाए गए है. भारत में सड़क की बाई ओर चलने का नियम है. सड़कों पर भारी वाहनों को एक निर्धारित गति सीमा तक चलाया जा सकता है. चौराहों पर संकेतक बत्तियाँ लगाई जाती है. ताकि सड़क जाम तथा दुर्घटना जैसी स्थितियों का कम से कम सामना करना पड़े. गतिशीलता जीवन है और गतिहीनता मृत्यु. गतिशील जीवन ही पल्लवित पुष्पित होता हुआ संसार को सौरभमय बना देता है लेकिन थोड़ी-सी चूक हो जाने से हम अपने प्राण ही गवाँ बैठते हैं.
आज अखबार की सुर्ख़ियों में प्रत्येक दिन छपा मिलता है कि सड़क दुर्घटना में बहुत से आदमी मारे गए. इसके लिए निश्चित रूप से हम सभी जिम्मेदार होते हैं.
आज हर मनुष्य को बहुत जल्दी है, जिन्दगी मानो रेस हो गई है. कोई इन्तजार ही नहीं करना चाहता, बस इसी चक्कर में दुर्घटना घट जाती है.
2. सड़क दुर्घटना के कारण –
1. जल्दबाजी में ट्रैफिक ध्यान न देना – आज हर मनुष्य जल्दबाजी में रहता है और इसी जल्दबाजी के कारण अपना संतुलन खो देता है और दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है जहाँ ट्रैफिक लाइटें नहीं होती है वहाँ यातायात पुलिस हाथ के इशारे से यात्रियों को रुकने या जाने का संकेत करती है. उसे ध्यान देना चाहिए.
2. खराब सड़कें – खराब सड़कों के कारण भी ज्यादातर दुर्घटना घतटी है.
3.अन्धामोड़ – हमारे देश में बहुत से सड़क मोड़ को अन्धा मोड़ के नाम से जाना जाता है. अन्धा मोड़ में सामने से आने वाली गाड़ी दिखाई नहीं देती है.
4. ओवरटेक – जल्दबाजी में हम अपने से सामने वाली गाड़ी के पीछे न चलकर उससे आगे निकलने के लिए ओवरटेक करते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.
5. रफ्तार वाली गाड़ी चलाना आज युवाओं में शान की बात हो गई है, जिसके चलते रफ्तार में कंट्रोल न होने पर दुर्घटना घट जाती है.
6. पैदल यात्रियों की सुविधा के लिए भूमिगत पार पथ तथा फूटपाथ बनाए जाते हैं जेब्रा क्रासिंग बनाई जाती है ताकि पैदल यात्री आरामदायक ढंग से सड़क पार कर सकें. लोग धीरे-धीरे गाड़ी चलाना नहीं चाहते बल्कि फैशन वश जोर से गाड़ी चलाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं.
7. यातायात नियमों का ज्ञान न होना.
8. यातायात नियमों का पालन न करना.
9. हमारे छत्तीसगढ़ में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बहुत ज्यादा है, नशे में गाड़ी चलाने से भी दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
आदि अनेक कारण हैं जिनके कारण अक्सर सडक दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
3. सड़क दुर्घटना रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास –
1. समय-समय पर सडकों का मरम्मत, सुधार का कार्य होते रहता है.
2. सड़कों पर अधिक रोशनी देने वाली लाइटें लगाई है ताकि रात के समय यातायात में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो. स्ट्रीट लाईट भी लगाए गए हैं ताकि अन्धेरा न हो.
3. पुरे देश में अटल सड़क योजना के तहत पक्की सड़कों का निर्माण करवाया गया है.
4. जगह-जगह भीड़ वाले इलाकों में सिग्नल लगाए गए हैं, जेब्रा क्रॉसिंग बनाए गए हैं.
5. यातायात के कड़े नियम बनाए गए है, सी-सी कैमरा लगवाए गए हैं. नियमों का पालन न करने वालों के ऊपर कड़ा जुर्माना लगाया जाता है. जो की सिर्फ लुट होता है. हेलमेट का प्रयोग अनिवार्य किया गया है, जिसे कोई भी अनिवार्य नहीं समझता है.
4. उपसंहार – जान है, तो जहान है. सड़क दुर्घटना के लिए निश्चित रूप से हम ही जिम्मेदार हैं, अगर हर नागरिक यह मन ले कि हमे यातायात के नियम का कड़ाई से पालन करना ही है, तो आए दिन होने वाली दुर्घटनाएं, बहुत ही कम हो जाएगी. जीवन अमूल्य है. हमें सिग्नलों का उचित ज्ञान होना चाहिए. पीलीबत्ती धीमी गति से चलने, हरी बत्ती आगे चलने, व लालबत्ती रुकने की ओर इशारा करती है. किसी भी दिशा में मुड़ने से पहले (गाड़ी में होने पर) दिशा सूचक लाईट का प्रयोग अवश्य करना ही चाहिए.
अचानक रुकना पड़े, तो सड़क के बायीं और गाड़ी रोकना चाहिए. अगले वाहन से दूरी बनाकर ही गाड़ी चलानी चाहिए.
सड़क, संकेत, रेखांकन और यातायात के संकेत को देखकर ही हमें गाड़ी चलानी चाहिए.
अगर हम सभी इन नियमों का पालन करेंगे तो अपना जीवन सुरक्षित रख पायेंगे.
इसे और भी अच्छा से लिखा जा सकता है अगर आपके कोई सुझाव हो तो हमें जरूर बताएं धन्यवाद!
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