वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजनावाद का अन्तर स्पष्ट कीजिए।

 प्रश्न 9. वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजनावाद का अन्तर स्पष्ट कीजिए।

 वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजनावाद में अन्तर

उत्तर- वक्रोक्ति सम्प्रदाय की स्थापना करने वाले आचार्य कुन्तक ने 'वक्रोक्ति काव्य जीवित' नामक ग्रंथ की रचना करके वक्रोक्ति को काव्य की आत्मा माना है। आचार्य कुल्तक की वक्रोक्ति अपने आप में रस, ध्वनि तथा औदित्य इन तीनों को आप में समेटे हुए है। आचार्य कुन्तक के अनुसार कवि की रचना चातुर्य से सुशोभित विचित्र उक्ति कही जाती है।

    हिन्दी में अभिव्यंजना शब्द का प्रयोग अंग्रेजी के 'एक्सप्रेशन' (Expression) शब्द के स्थान पर किया जाता है। यह सिद्धांत अंग्रेजी के प्रसिद्ध आलोचक क्रोचे का है। क्रोचे ने दो प्रकार का ज्ञान माना है - प्रतिभा ज्ञान और प्रत्यक्ष ज्ञान। कोचे प्रत्यक्ष दर्शन को भी प्रतिभा ज्ञान मानता है। प्रत्यक्षानुभूति में वास्तविकता और अवास्तविकता के अन्तर का ज्ञान रहता है। इसमें देश काल का ज्ञान रहता है, किन्तु प्रतिभा ज्ञान में इस प्रकार का भेद नहीं रहता । 

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अभिव्यंजनावाद को भारतीय वक्रोक्ति का विलायती संस्करण कहा है। आचार्य शुक्ल के अनुसार इन दोनों सिद्धांतों में कुछ साम्य होते हुए भी इतना ही अन्तर है।

Wakrokti ewam abhivyanjnawad ka antar spasht kijiye?

आपको यह पोस्ट कैसा लगा और किस प्रकार के टॉपिक पर आप पोस्ट चाहते हैं जरूर लिखें। 

Related Posts

Post a Comment