कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत का परिचय दीजिए।

प्रश्न 5. कॉलरिज के कल्पना सिद्धांत का परिचय दीजिए। 

उत्तर - कॉलरिज यह स्वीकार करता है कि कल्पना निम्नलिखित दो प्रकार की होती है - 

    (क) आद्य कल्पना - इसे अंग्रेजी में 'प्राइमरी इमेजीनेशन' कहा जाता है। यह कल्पना जीवित और महत्वपूर्ण शक्ति है। इससे हमें मानवीय पदार्थों का बोध होता है। इन्द्रियों द्वारा जिन वस्तुओं का बोध होता है, उन्हें यह कल्पना ही व्यवस्थित करती है। यह कल्पना सहज और स्वाभाविक मानवीय गुण है। 

    (ख) गौण कल्पना - यह कल्पना विशेष लोगों में प्राप्त होती है। यह कल्पना प्रकृति के पदार्थों में प्राप्त होने वाले अव्यवस्थित स्वरूप को रूप देने वाली शक्ति है। 

    दोनों कल्पनाओं में अन्तर - पहली अर्थात् आद्य कल्पना प्रकृति या पदार्थों में पाये जाने वाले अव्यवस्थित रूप को निश्चित आकार देती है। यह आन्तरिक शक्ति का अभिप्रेत अर्थात् चाहा हुआ है। तात्पर्य यह है कि इस प्रकार की कल्पना को सभी चाहते हैं। दूसरी कल्पना संयुक्त और आत्मा की कल्पना है। यह आत्मा की ऊर्जा है। 

    कल्पना का महत्व - कॉलरिज ने कल्पना को काव्य या कविता का मूल आधार माना है, कलाकार या कवि प्रकृति। का पुनः सृजन नहीं करता, अपितु उन्हें वह कल्पना के सहारे पुनः निर्माण की ओर बढ़ाता है।

 kalrij ka kalpana sidhant ka parichay dijiye.

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