प्रश्न 2. टी. एस. इलियट के अनुसार परम्परा की परिकल्पना और वैयक्तिक प्रज्ञा का परिचय दीजिए।
उत्तर- इलियट ने अपने एक निबन्ध में स्वच्छन्दतावादियों के वैयक्तिक काव्य सिद्धांत का विरोध करते हुए उसे अस्वीकार कर दिया। इसके स्थान पर इलियट ने परम्परा की परिकल्पना की और वैयक्तिक प्रज्ञा को महत्व दिया। परम्परा का अर्थ पहले से चली आती हुयी धारणाओं और मान्यताओं से है। इलियट ने परम्परा के रूप में अपने पूर्ववर्ती टी. ई. ह्यूम एवं एजरा पाउण्ड की मान्यताएँ स्वीकार की ह्यूम ने डारविन के विकासवाद का विरोध किया। विकास का सिद्धांत परम्पराओं का विरोधी है। विकास के सिद्धांत में ईश्वर के लिए कोई स्थान नहीं है। ह्यूम ने इसका विरोध करते हुए सृष्टि को ईश्वर की कृपा से सहसा अस्तित्व में आया माना। वैयक्तिक प्रज्ञा की प्रेरणा इलियट को एजरा पाउण्ड से प्राप्त हुयी । एजरा पाउण्ड ने वस्तुनिष्ठता की अभिव्यक्ति को आवश्यक माना। वह कविता में भावावेश वश कही गयी उक्ति को ही काव्य नहीं मानता था। परम्परा के विरोध का ही नाम भावावेश है। इलियट की परम्परा रुढी का पर्याय नहीं है। उसकी परम्परा गत्यात्मक थी।
T. S. Eliat ke anusar parampra ki parikalpna aur vaiyaktik prgya ka parichay dijiye.
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