प्रश्न 3. टी. एस. इलियट के निर्वैयक्तिकता के सिद्धांत पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - निर्वैयक्तिकता के सिद्धांत को अंग्रेजी में 'इम्पर्सनल थ्योरी ऑफ पोयट्री' कहा जाता है। इलियट टी. ई. ह्यूम और एजरा पाउण्ड से बहुत प्रभावित था। कविता में निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत एजरा पाउण्ड की सूझ है। एजरा पाउण्ड ने कवि को वैज्ञानिक के समान निर्वैयक्तिक तथा वस्तुनिष्ठ माना है। इलियट के अनुसार काव्य एकाग्रता का प्रतिफल है। इसके अनुसार काव्य की अवधारणा के लिए कवि की एकाग्रता को आवश्यक माना है। कवि अथवा कलाकार अपनी कृति में अपने व्यक्तित्व बोध का तिरस्कार करता है। यही निर्वैयक्तिकता है। कवि और कलाकार का अपने निजी संवेगों पर अंकुश लगाना ही निर्वैयक्तिकता है। इलियट व्यक्तिगत संवेगों पर अंकुश लगाने पर बल देता है। कलाकार और कवि का निस्पृह मस्तिष्क जिस रचना में सक्रिय रहता है, वही श्रेष्ठ होती है। इलियट के अनुसार कला व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नहीं, अपितु व्यक्तित्व से पलायन है। इलियट के अनुसार कविता अथवा कलात्मक रचना उसकी अचेतावस्था की उपज है। भारतीय आचार्यों का साधारणीकरण और इलियट का निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत सर्वत्र समान समझना चाहिए।
t. s. eliat ke nirvyaktikta ka siddhant par prakash daliye
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