1. आचार्य आनन्दवर्धन कौन हैं ?
उत्तर -
हिंदी साहित्य में यह प्रश्न बहुत बार पूछा जाता है की आनंदवर्धन कौन हैं? तो चलिए इसके बारे में मुझे जो थोड़ी बहुत जानकारी है उसको आपको बता रहा हूँ -
आचार्य आनंदवर्धन जिन्हें ध्वनि सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में ख्याति प्राप्त है या कहें ये ध्वनि सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में प्रसिद्ध हैं। इसके पहले भी एक आचार्य थे रुद्रट जो ध्वनि सम्प्रदाय के ख्याति प्राप्त व्यक्ति थे ये उनके बाद के काव्यशास्त्री हैं।
जिन्हें उनके पहले से उपस्थित काव्यशास्त्रियों की अपेक्षा ज्यादा प्रसिद्धि मिली है। इन्होने ध्वनि सम्प्रदाय से सम्बन्धित एक ग्रन्थ की रचना की थी जिसका नाम ध्वन्यालोक काव्य शास्त्र है यह हिंदी साहित्य के इतिहास में मील का पत्थर है।
आचार्य आनन्दवर्धन के निवास की बात करें तो ये कश्मीर के निवासी थे और ये उस समय के तत्कालीन कश्मीर नरेश अवन्तिवर्मन के समकालीन थे। इस सम्बन्ध में कल्हड़ जिन्हें महाकवि के रूप में जाना जाता है इन्होने अपने ग्रन्थ राजतरंगिणी में लिखा है -
मुक्ताकणः शिव्स्यामी कविरानन्दवर्धन: ||
प्रथां रत्नाकराश्चागात् साम्राऽयेऽवन्तिवर्मणः ॥
कश्मीर नरेश अवन्तिवर्मन के राज्यकाल की बात करें तो उनका राज्यकाल 855 से 884 ई. तक इतिहास में दर्ज है अतः यह कहा जाता है या कहें माना जाता है की आचार्य आनन्दवर्धन का काल भी नौवीं शताब्दी ही रहा है। इन्होने अलग अलग विषय पर पांच ग्रन्थों की रचना की है इनके ग्रन्थ के नाम कुछ इस प्रकार हैं -
विषमबाणलीला, अर्जुनचरित, ध्वन्यालोक, देवीशतक, तत्वालोक।
Post a Comment