1. अर्थ परिवर्तन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
उत्तर - अर्थ परिवर्तन - प्रत्येक भाषा के शब्दों में सतत परिवर्तन होते रहते हैं, क्योकि शब्दों के प्रयोक्ता अपनी अभिरुचि एवं आवश्यकता के अनुसार शब्दों के मनमाने अर्थ लगाया करते हैं। मानव मन गतिशील, चंचल, भावुक, संवेदनशील एवं नवीनता का प्रेमी है। अतः विभिन्न परिस्थितियों में मानव मन की स्थिति एक-सी नही होती है। यही कारण है की राग-द्वेष, क्रोध, घृणा, आवेश आदि किस स्थिति में उच्चरित शब्दों के अर्थों में अंतर् आ जाता है। यह अर्थ परिवर्तन प्रारम्भ में व्यक्तिगत होता है, परन्तु बाद में समाज के द्वारा स्वीकृत होने पर भाषा में ग्रहण कर लिया जाता है और भाषा का अंग बन जाता है। इस प्रकार अर्थ परिवर्तन की प्रक्रिया मनोवैज्ञानिक है।
भाषा विज्ञान के विद्वान अर्थ परिवर्तन के निम्न कारण मानते हैं -
- पीढ़ी
- परिवेश
- नम्रता प्रदर्शन
- भावावेश
- नव-निर्माण का आग्रह
- प्रमोशन के बहिष्कार की प्रवृत्ति
- अश्लील तथा घृणाजनक शब्दों का बहिष्कार
- लाक्षणिकता एवं प्रालंकारिता
- व्यंग्य
- अन्धविश्वास
- सामान्य के लिए विशेष
- संक्षेपण की प्रवृत्ति
- बल का अपसरण
- सादृश्य
- अज्ञान एवं भ्रान्ति आदि।
1. पीढ़ी - इस प्रकार के परिवर्तन में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही नियमों और मान्यताओं के कारण परिवर्तन देखने को मिलता है जिस प्रकार एक जामने में लोगो की रहन सहन अलग थी और आज उसकी तुलना में बिलकुल अलग है वैसे ही पीढ़ी अर्थ भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आते आते बदल जाता है।
2. परिवेश - अर्थ परिवर्तन का यह कारण अपने आस-पास के वातावरण पर काफी ज्यादा निर्भर करता है। वातावरण में बहुरूपता होने के कारण अर्थ में भी बहुरूपता देखने को मिलती है।
3. नम्रता प्रदर्शन - नम्रता प्रदर्शन के कारण भी कई बार अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। जब लोग प्यार से कुछ कहते हैं तो कई बार शब्द के अर्थ बदल जाते हैं।
4. भावावेश - मनुष्य में भावनात्मक जुड़ाव या लगाव बहुत देखने को मिलता है जिसके कारण कई बार लोगों के भाव उनकी बातों में झलक जाते हैं और अर्थ परिवर्तन हो जाता है।
5. नव-निर्माण का आग्रह - मन हमेशा से ही कुछ नया चाहता रहता है और लगाव हमेशा नई चीजों में देखने को मिलता है। इसलिए नए नए शब्दों का निर्माण भी होता रहता है। जिसके कारण अर्थ में भी परिवर्तन देखने को मिलता है।
Arth parivartan ke pramukh karano ki vivechna kijiye?
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