हिंदी की प्रयोजनीयता।
उत्तर - हिंदी की प्रयोजनीयता - हिंदी राजभाषा है सम्पर्क भाषा है अंतर्राष्ट्रीय भाषा है और सबसे ऊपर वह एक विकासशील समाज में विचारों के आदान-प्रदान का माध्यम है। प्रयोजन का अर्थ होता है उद्देश्य।
यदि किसी भाषा का समाज के विविध प्रकार्यों के लिए उपयोग न किया जाय तो वह भाषा सीमित होकर कुछ दिशाओं में ही विकास करती है। आम तौर पर उस भाषा में केवल साहित्य का विकास होता है और अन्य क्षेत्रों में वह कमजोर रह जाती है। लगभग इसी प्रकार की स्थिति हिंदी के सामने सन 1947 के आसपास थी।
हिंदी भाषा उस समय साहित्यिक दृष्टि से सम्पन्न होते हुए भी पत्रकार्य आदि आधुनिक प्रकार्यों के लिए तैयार नहीं थी। यहीं कारण था की हिंदी को राजभाषा बनाने के साथ-साथ उन प्रकार्यों के लिए उसे तैयार करने के लिए विकास के कदम उठाये गए।
इस प्रकार प्रयोजन मुलक कार्यों के लिए भाषा को विकसित कराना एक सामाजिक विकास प्रमुखतया व्यक्तियों पर निर्भर करता है।
Hindi ki prayojniyata.
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