छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग क्या है - chhattisgarh ki rajbhasha

 Chhattisgarhi rajbhasha aayog 

साथियों आप सभी का सवागत है मेरे इस ब्लॉग पर आज मैं बात करने वाला हूँ छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के बारे में जिसमें मैं आपको बताने वाला हूँ इनके पदाधिकारियों के बारे में और छत्तीसगढ़ी राजभाषा के लागू होने के समय के बारे में साथ ही छत्तीसगढ़ी राजभाषा के उद्देश्य और लक्ष्य के बारे में बताने वाला हूँ छत्तीसगढ़ी राजभाषा की योजनाएँ क्या-क्या हैं। इसके अन्य कार्य तथा इसके कुछ विशेष कार्य के बारे में भी मैंने यहां पर बताने का प्रयास किया है। 

इसके पहले मैंने एक पोस्ट लिखा था जिसमें मैंने छत्तीसगढ़ी वर्णमाला के बारे में बताया था अगर आप वो पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक !

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग एक प्रकार का संगठन है जो की छत्तीसगढ़ी भाषा को एक विशेष दर्जा दिलाने के लिए बनाया गया है। और ये अभी भी सक्रिय है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विधेयक को 28 नवम्बर 2007 को पारित किया गया तथा इसके पास होने कर ही उपलक्ष्य में हर साल 28 नवम्बर को राजभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस राजभाषा का प्रकाशन 11 जुलाई 2008 को राजपत्र में किया गया। इस आयोग का कार्य 14 अगस्त 2008 से चालू हुआ इस आयोग के प्रथम सचिव - पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे जी रहे।

chhattisgarh ki rajbhasha
छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग


छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग सरांस इस प्रकार से है -

  • विधेयक का नाम - छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग 
  • अधिनियम विधेयक पारित - 28 नवम्बर 2007 को 
  • राजभाषा दिवस - 28 नवम्बर को 
  • प्रतिवर्ष राजपत्र में प्रकाशन - 11 जुलाई 2008 को किया गया।
  • आयोग का कार्य प्रारम्भ कब हुआ - 14 अगस्त 2008 को

chhattisgarhi rajbhasha aayog ke adhyaksh

प्रथम अध्यक्ष - पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी। द्वितीय अध्यक्ष - श्री दानेश्वर शर्मा। तृतीय अध्यक्ष - विनय कुमार पाठक। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के प्रथम सचिव - पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे रहें। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग को गठित करने का उद्देश्य क्या था, वो इस प्रकार से है - आज आप कहीं भी जाये आपको संवाद करने के लिए किसी ना किसी भाषा की आवश्यकता होती है बिना भाषा के कोई देश अच्छे से कार्य का सञ्चालन नहीं कर सकता है शायद इसी कारण इसकी आवश्यकता हुई।

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के उद्देश्य और लक्ष्य 

  1. राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्जा दिलाना इसका पहला उद्देश्य रहा।
  2. छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा में उपयोग में लाना इसका दूसरा उद्देश्य है।
  3. त्रिभाषायी भाषा के रूप में शामिल पाठ्यक्रम में शामिल करना।

छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए इस आयोग ने कई योजनाएं चलाई जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं -

माई कोठी योजना - लेखकों से उनकी छत्तीसगढ़ी में प्रकाशित रचनाओं की दो-दो प्रति खरीदना। बिजहा योजना - विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ी शब्दों को संकलित करने के लिए चलाया गया अभियान। इसके अलावा इस राजभाषा आयोग ने और भी बहुत सारे काम किये छत्तीसगढ़ी बोली को आगे बढ़ाने के लिए जो की इस प्रकार से है। 

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के कार्य

शब्द कोश - हिंदी - छत्तीसगढ़ी शब्दकोश। छत्तीसगढ़ी - हिन्दी शब्दकोश। प्रकाशन - पांडुलिपि प्रकाशन। शोध - राम चरित मानस में छत्तीसगढ़ी शोध।

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग की विशेषता 

इस आयोग में कुछ ऐसी भी बाते हैं जिनके कारण यह बहुत ही प्रसिद्ध हुआ है जो की इस प्रकार है - छत्तीसगढ़ी भाषा को लोकप्रिय बनाने के राज-काज के दिशा में इसके लिए कार्य किया गया अनेक विधायकों द्वारा विधानसभा में छत्तीसगढ़ी भाषा में शपथ ग्रहण किया गया। कुसाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार वि.वि. में छत्तीसगढ़ी पाठक्रम चालू करने की घोषणा।

आपको ये जानकारी कैसे लगी मेरे साथ जरूर शेयर करें और आपको किस टॉपिक पर जानकारी चाहिए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ और मैं भी चाहता हूँ की छत्तीसगढ़ी भाषा को सभी जाने करके इसलिए मैंने छत्तीसगढ़ी में भी की पोस्ट लिखे हैं जैसे - छत्तीसगढ़ी मुहावरा, छत्तीसगढ़ी लोकोक्ति और भी बहुत कुछ तो छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाएं शेयर करें अपना छत्तीसगढ़ी कमेंट मेरे साथ शेयर करें । 

मेरे साथ जुड़े रहने के लिए तहे दिल से धन्यवाद। आपके लिए छत्तीसगढ़ी व्याकरण से संबधित अन्य पोस्ट के लिंक नीचे दिए गए हैं इन्हें भी पढ़ें।



Related Post

Related Posts

2 comments

Unknown said…
very nice
Khilawan said…
Aapka bahut bahut dhanywad feedback ke liye.
Ese hi General knowledge se jude rahne ke liye hamare blog subscribe jarur kare.
Thnx again.🙏