छत्तीसगढ़ी वर्णमाला स्वर और व्यंजन - chhattisgarhi vyakaran

साथियों आपका स्वागत है मेरे इस ब्लॉग पर आज हम बात करने वाले हैं। छत्तीसगढ़ी वर्णमाला के बारे में और इससे पहले हमने पढ़ा था छत्तीसगढ़ी विलोम शब्द के बारे में और आज हम बात करने वाले हैं छत्तीसगढ़ी वर्णमाला के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं। 

छत्तीसगढ़ी वर्णमाला 

स्वर - छत्तीसगढ़ी बोली में भी हिन्दी के ही समान स्वर वर्ण होते हैं। डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा के अनुसार - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ,ए, ओ संध्य अक्षर - ऐ, औ। 

स्वर को भी दो प्रकारों में बांटा गया है जो की इस प्रकार  है - 1. दीर्घ स्वर - इस में निम्न शब्द आते है - आ, ई, ऊ,ए, ओ 2. हस्व स्वर - अ,इ,उ। 

छत्तीसगढ़ी वर्णमाला के व्यंजन 

छत्तीसगढ़ी में व्यंजन शब्द की बात करें तो यहां पर इसके 29 प्रकार हैं - जो की व्यंजन के रूप में प्रयुक्त होते हैं। ये व्यंजन वर्ण डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा के अनुसार- क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट, ठ, ड,ढ,ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, स, ह। 

व्यंजनों में - कुछ और वर्ण जोड़ने से इनकी संख्या 35 हो गई वे शब्द इस प्रकार से हैं - नह् , म्ह्, रह्,ल्ह्, ङ्, ढ़् व्यंजनों को और प्रकारों में इस प्रकार बांटा गया है। 

छत्तीसगढ़ी वर्णमाला
छत्तीसगढ़ी वर्णमाला


छत्तीसगढ़ी उच्चारण के आधार पर 

वर्णमाला
कंठव्य ( कंठ व जीभ ) - क्, ख् , ग्, घ् , अ, आ, ङ्, ह। 
तालव्य (तालु और जीभ) - च् , छ् , ज् ,झ् , इ, ई, य्। 
मुर्द्दान्य (मुधा और जीभ) - ट्, ठ् , ड् , ढ् , र्। 
दंत्य (दांत और जीभ) - त् , थ् , द् , ध् , न् , ल् , स्। 
ओष्ट्य (दोनों होठ) - प् , फ् , ब् , भ् , म्। 
नासिक्य  -  न् , न्ह् , म् , म्। 
उक्षिप्त - ड् , ढ्। 
संघर्षी - स् , ह् अर्ध स्वर - य, व। 

प्रयत्नों के आधार पर 

अल्पप्राण - वर्ग 1 व 3 का व्यंजन जैसे - क , ग, च , ट् , ण् , त् , द् , प् , ब् , म् ,र्  आदि। 

महाप्राण - वर्ण 2 व 4 के व्यंजन जैसे - ख, घ, छ, झ, ठ , ढ , थ , ध , फ, भ, न, न्ह , ल, रह्, व, स आदि।

छत्तीसगढ़ी भाषा में सामान्य बोलचाल की व्यवहार में श, ष, त्र , ज्ञ, क्ष, ऋ अक्षरों का प्रयोग नहीं होता है। इनके स्थान पर - हीरालाल काव्योपाध्याय के अनुसार

  1. श, ष के लिए - "स" (जैसे, शीत-सीत , देश-देस)
  2. ज्ञ के लिए  -  "गिय" (जैसे - ज्ञान के लिए गियान, विज्ञान- बिगियान)
  3. ऐ के लिए  -  "अई" का (जैसे- ऐसन-अइसन)
  4. त्र के लिए - "तर" (जैसे - त्रिशुल के लिए तिरसूल, त्रेता- तरेता)
  5. क्ष के लिए  -  "छ" (जैसे - क्षमा के लिए छिमा, क्षण - छन, क्षणिक- छनिक)
  6. ऋ के लिए - रि (जैसे - ऋतु के लिए रितु , ऋषि - रिसि)
  7. श्र के लिए  - सर (जैसे - श्रवण के लिए सरवन , श्रम- सरम)

अन्य जानकारियां छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्भव एवं विकास ,    छत्तीसगढ़ी बोलियाँ

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