आप सभी का फिर से स्वागत है है। दोस्तों आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ छत्तीसगढ़ की एक खास पहचान के बारे में जिसे आप लोकोक्ति कहते है। दोस्तों आज के इस आधुनिक युग में हर किसी के पास इतना समय नहीं है की वह छत्तीसगढ़ी लोकोक्ति या गीत को पढ़े तो चलिए शुरुवात करते हैं।
छत्तीसगढ़ी लोकोक्ति (Chhattisgarh Folklore)
छितका कुरिया मा बाग गुर्राए - इस छत्तीसगढ़ी लोकोक्ति का अर्थ होता है कोई भी हो वह अपने इलाके में शेर की तरह गुर्राने लगता है।
छिटका पानी बैरी तिर के बास निंदिया तिर के रुखवा एक दिन होए विनास - इस पंक्ति का मतलब ये होता है की जिस प्रकार सिर्फ पानी के छीटे सेे तथा नदिया केे पास लगे वृृृक्ष का एक दिन विनास हो जाता है उसी
प्रकार दुश्मन के नजदीक निवास करने वालेे का भी एक दिन विनास हो जाता है अर्थात बर्बाद हो जाता है।
Chhattisgarhi Lokoktiya Ewam Geet |
छत्तीसगढ़ी लोकोक्तियाँ (Chhattisgarhi Folks)
- खेती रहिके परदेस मां खाय, तेखर जनम अकारथ जाय।
- खेती धान के नास, जब खेले गोसइयां तास
- खेत बिगाड़े सौभना, गांव बिगाड़े बामना।
- हरियर खेती गाभिन गाय जबे खाय तभे पतियाय=पा न लें तब तक यकीन न करना।
- आखीं वाले अंधरा=जानबूझ कर गलती करना।
- जरे म नमक छिचई=दुखी को और कष्ट पहुंचना।
- मरत ल अउ मार डरय= दया न करना।
- बरसा पानी बहे न पावे, तब खेती के मजा देखावे
- आषाढ़ करै गांव - गौतरी, कातिक खेलय जुआं।
- तीन पईत खेती, दू पईत गाय।
- अपन हाथ मां नागर धरे, वो हर जग मां खेती करे।
- भाठा के खेती, अड़ चेथी के मार
- जैसन बोही, तैसन लूही
- परदेश के जवई त रुख के चढ़ई =देखने मे आसान लगना।
- भागे मछरी जाँघ कस मोटह= हवा -हवाई बात करना ।
- अंधरा खोजय दु आँखी=मनचाहा वस्तु प्राप्त होना।
छत्तीसगढ़ी गीत (Chhattisgarhi Songs)
मुनगा फूले रे सुहावन , फुले रे लाली परसा अउ फुले तोर मोंगरा।चन्दा संग संग तारा हो , राम लखन दोनो प्यारा हो।
चन्दा संग संग तारा हो।
मंदारी आगे गांव मां भलवा ल लेके,
डमरू बजाए खेल देखाए ,
जुरीयाए हावय गांव भर के ,,,
मंदारी आगे गांव मे भलवा ल लेके,
जुरीयाए हावे गांव भर के।
हरि हरि गोविंद बोल रे मनवा, हरी हरी गोविंद बोल, मुरली मनोहर किसन कनहियां अपने हृदय का पट खोल रे मनवा।
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