छत्तीसगढ़ मे खनिज संसाधन - Mineral Resources in Chhattisgarh

खनिज संसाधन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ अत्यंत समृद्ध राज्य है। यहा विभिन्न प्रकार के खनिज प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। छत्तीसगढ़ में विश्व के सबसे अधिक किम्बरलाइट भण्डार का क्षेत्र है।

यहां लौह अयस्क,डोलोमाइट,कोयला,बॉक्साइट,टिन अयस्क ,चुने का पत्थर,हीरा आदि के विश्व प्रसिद्ध भण्डार हैं।  राज्य के बस्तर और दुर्ग जिले में उच्च श्रेणी का लौह-अयस्क उपलब्ध है। दन्तेवाड़ा जिले के बैलाडीला का लौह-अयस्क विश्व के श्रेष्ठतम लौह-अयस्क के तुल्य है। इस खनिज का बड़ा भाग जापान को निर्यात होता है। विशाखापट्टनम और भिलाई के इस्पात संयंत्रो में भी यहां से लौह-अयस्क की आपूर्ति होती है।

छत्तीसगढ़ मे खनिज संसाधन की स्थिति

खनिज उपलब्धता की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का भारत में द्वितीय स्थान है। यह देश के खनिज उत्पादन का 12.32% उत्पादित करता है। टिन का शत-प्रतिशत उत्पादन बस्तर जिले में किया जा रहा है। देश के कुल खनिज भण्डार में छत्तीसगढ़ प्रदेश का योगदान लौह -अयस्क में लगभग 18.55% कोयले में लगभग 16.13% बॉक्साइट मे लगभग 4.68% डोलोमाइट में लगभग 12.42% तथा टिन में 100% है।

राज्य खनिज विकास निगम

खनिज पदार्थों के उत्पादन एवं वृद्धि हेतु मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम की स्थापना वर्ष 1962 में की गई थी। नवम्बर , 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात छत्तीसगढ़ में भी यह निगम लगभग उन्हीं प्रावधानों के अधीन ' छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम ' के नाम से कार्य कर रहा है। इसका मुख्यालय रायपुर में है। इस निगम का उद्देश्य मुख्य तथा गौण खनिजों को खोजकर उत्खनन, प्रसंस्करण शोधन कर अयस्क का धातु के रूप में परिवर्तन तथा खनिजों के विक्रय/नीलामी के लिए मध्यस्थ का कार्य करना है।

 खनिज नीति, 2001

छत्तीसगढ़ राज्य खनिज नीति, 2001 के अनुसरण में राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ गौण खनिज नियम के अंतर्गत गौण खनिजों के व्यवसाय हेतु समाज के कमजोर वर्गों यथा अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग तथा उभय वर्ग के शिक्षित बेरोजगारों को खनन पट्टा प्रदान करने को प्राथमिकता प्रदान की गई। साथ ही उक्त नियम के तहत महिलाओं को अधिमानी अधिकारी के अधीन गठित सहकारी समितियों को गौण खनिजों के उत्खनन पट्टा स्वीकृत करने की सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। 

 राज्य की खनिज नीति,मुख्य बिंदु

1. राज्य में खनिज का दोहन एक स्वीकृत माइनिंग प्लान बनाकर किया जाएगा। गरीबों की भागीदारी की सुनिश्चितता होगी।

2. गौण खनिजों के पट्टे की नीलामी का अधिकार अब कलेक्टर को। अन्वेषण का क्षेत्र निर्मित निवेशकों के लिए खोलना।

3. खनिज पट्टों की स्वीकृति एवं नवीनीकरण। रासायनिक प्रस्तर, फोटो , भौमिकी प्रयोगशालाओं को आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करना।

4. दुर्लभ खनिजों के खोज हेतु निजी, विदेशी निवेशों को आमन्त्रित करना। खनिज उत्खनन हेतु नियमों/प्रक्रियाओं का सरलीकरण।

5. बन्द ग्रेनाइट खदानों का समुचित उपयोग ,मत्स्य पालन,पर्यटन विकास,भूमि जल के पुनर्भरण हेतु रिचार्ज टैक के रूप में किया जाएगा।

6. खनिजों के उत्खनन-खनन हेतु अनुज्ञप्ति स्वीकृत करने के लिए नियमों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाएगा।

7. खनिज आधारित उद्दोगों की स्थापना के इच्छुक उद्धोगपतियों को प्राथमिकता दी जाएगी।

8. खनिज विनिवेशित पूंजी का एक हिस्सा एक अनुदान विभन्न उपक्रमों एवं औधोगिक घरानों को प्रदेश मे सामाजिक अधोसंरचना के विकास हेतु विभिन्न करों में छूट एवं अंश दोनों के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।

बस्तर जिले के तोकापाल क्षेत्र में हीरा खनिज के प्राथमिक स्रोत किम्बरलाइट पाइप की उपस्थिति का पता चला है।
प्रदेश का क्वार्टजाइट के उत्पादन में प्रथम तथा कोयला, लौह-अयस्क एवं डोलोमाइट के उत्पादन में द्वितिय स्थान है। रायपुर जिले में स्वर्ण धातु के लगभग 2,780 किमी भण्डार का पता चला है। जशपुर जिले के कुनकुनी क्षेत्र के बोराक छार ग्राम में बेरिल प्राप्त होता है।

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