छत्तीसगढ़ की गुफाएं - chhattisgarh ki gufa

छत्तीसगढ़ में कई ऐतिहासिक गुफाएं आपको देखने को मिलेगी जिसमे प्रसिद्ध कुटुमसर की गुफा और सिंघनपुर की गुफा है। इसके अलावा आपको कई गुफाये आपको देखने को मिल जाएगी। इस पोस्ट में कुछ प्रमुख छत्तीसगढ़ की गुफाएं वर्णन किया गया है। 

कुटुमसर गुफा का वर्णन

कुटुमसर गुफा को शुरू में गोपनसर गुफा नाम दिया गया था, लेकिन वर्तमान नाम कुटुमसर अधिक लोकप्रिय हो गया है क्योंकि गुफा 'कोटुमसर' नामक गांव के पास स्थित है। कुटुमसर गुफा छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के पास स्थित है।

इकोटूरिज्म में रुचि रखने वाले लोगों के लिए कुटुमसर गुफा एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र हो सकता है। यह कांगेर नदी के तट के पास स्थित चूना पत्थर बेल्ट पर बनी, चूना पत्थर की गुफा है। यह समुद्र तल से 560 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ी की दीवार में खड़ी दरार, गुफा के लिए मुख्य प्रवेश द्वार का काम करती है और वहां से पर्यटकों की सुविधा के लिए गुफा के अंदर रास्ता बनाया गया है। 

गुफा की मुख्य सुरंग लगभग 200 मीटर लंबी है जिसमें कई टेड़े मेढे मार्ग हैं। इस गुफा में विभिन्न प्रकार के स्पेलोथेम्स मनोरम दृश्य आपको देखने को मिलेगा। हवा और पानी का तापमान 28.25 और 26.33 डिग्री सेल्सियस होता है। 

मानसून के मौसम में गुफा में बाढ़ आती है, जो आम तौर पर जून के मध्य में शुरू होती है और अक्टूबर के मध्य तक जारी रहती है। इस अवधि के दौरान यह साइट पर्यटकों के लिए बंद रहती है। इस गुफा में वर्ष भर पानी से भरे विभिन्न जलकुंड मौजूद हैं।

सिंघनपुर की गुफा और शैलचित्र

सिंघनपुर गुफा के चित्रों की चित्रकारी गहरे लाल रंग से हुई है।  एक रेलवे इंजीनियर ने वर्ष 1910 सबसे पहले इसका पता लगाया था।  सिंघनपुर के शैल चित्र विश्वविख्यात है।

इन चित्रो में चित्रित मनुष्य की आकृति कही तो सीधी और ड़ण्डेनुमा है और कहीं सीढ़ीनुमा है। इस काल में लोगों को लेखन की जानकारी नहीं थी। अतः इस समाज की जानकारी किसी लिखित अभिलेख के आदार पर नहीं , बल्कि पुरातत्व की सहायता, औजार, व अन्य शिल्प के आधार पर प्राप्त की जाती है।

आदिमानव के पास जीवन-यापन के बहुत कम साधन थे। धीरे-धीरे मानव मस्तिस्क का विस्तार हुआ और वह अपने ज्ञान को बढ़ाने लगा प्रकृति ने जो उसे साधन दिए थे, उसने उनका उपयोग करना ठीक से आरम्भ कर दिया।  इस स्थिति में पहुचने के लिए उसे काफी समय लग गया।

इस दौरान पत्थरों को नुकीला कर औजार और हथियार बनाना सिख लिया।  वनों से आच्छादित छत्तीसगढ़ मे आज भी कही कही चट्टानों और वनों में पर प्राचीन काल की विभिन्न कला के रूप में दिखाई देते हैं।

शैलचित्र  प्राचीन मानवीय सभ्यता के विकास को प्रारम्भिक रूप से स्पष्ट करतें है। शैल चित्र मानव मन के विचारों को ब्यक्त करने के माध्यम थे। इससे पता चलता है की इससे पहले उन्हें चित्र कला का ज्ञान था। तो दोस्तों आज के ज्ञान का पिटारा बस इतना ही और अधिक जानकारी के लिये मेरे ब्लॉग का अवलोकन करते रहें।
इससे सम्बंधित जानकारी के लिए फेशबुक पर भी लॉगीन कर सकते हैं।

कैलाश गुफाएं

तीरथगढ़ झरने के पास जंगल में गहरी दफन यह गुफा जगदलपुर से लगभग 40 किमी दूर स्थित हैं। इस भूमिगत गुफा में स्टैलेक्टाइट्स की सबसे शानदार संरचनाएं मौजूद हैं। लाखों साल पुराना यह गुफा 200 मीटर लंबा, 35 मीटर चौड़ा और 55 मीटर गहरा है। यदि आपको पता हो तो स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स बूंद का एक इंच को बनने में लगभग 6,000 साल लगते हैं। तो कैलाश गुफाओं में बना विशाल स्तंभ आपको जरूर आश्चर्य में डाल देगा। 

सीतापुर गुफा 

रामगढ़ का सबसे पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल सीता बेंगरा गुफा, या देवी सीता का निवास स्थान है। पहाड़ी के उत्तर-पूर्वी ढलान पर स्थित, सीता बेंगरा गुफा 14 मीटर लंबी है, 4.2 मीटर ब्रेड है जिसकी ऊंचाई 2 मीटर सामने है पीछे की तरफ कम है। गुफा के बाहर प्राचीन पत्थर से उकेरी गई कई वृत्ताकार साथी और बेंच हैं। दाहिने कोने में मानव पैरों के रहस्यमय निशान हैं और इस तथ्य की गवाही देते हैं कि सीताजी अपने वन प्रवास के दौरान गुफा में रहती थीं।

जोगीमारा की गुफा

जोगीमारा गुफाएं छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले में स्थित हैं। ये गुफाएं लगभग 10x6x6 फीट आकार की हैं और 300 ईसा पूर्व की हैं। इन गुफाओं पर जानवरों, इंसानों, पक्षियों और फूलों की कई पेंटिंग हैं। प्रत्येक पेंटिंग को सफेद आधार प्लास्टर पर लाल रूपरेखा के साथ चित्रित किया गया है।

ओ हेल्लो इसे भी एक नजर देख लो यार -



Related Post

Related Posts

Post a Comment