छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था - Economy of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ भारत के मध्य भाग में स्थित है। राज्य के पश्चिम में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में ओडिशा, झारखंड और दक्षिण में आंध्र प्रदेश के सीमा से लगा हुआ है।

छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनन, कृषि, ऊर्जा उत्पादन और विनिर्माण पर आधारित है। राज्य में कोयला, लौह अयस्क, डोलोमाइट और अन्य खनिजों की प्रमुख भंडार हैं। 

मध्य तराई विशेष रूप से प्रचुर मात्रा में चावल उत्पादन के लिए जानी जाती है, और पूरे राज्य में बीड़ी के लिए देश के तेंदू पत्ते का बड़ा हिस्सा उपलब्ध कराया जाता है। 

छत्तीसगढ़ भी थर्मल और हाइड्रोइलेक्ट्रिक जनरेटर से बिजली का निर्माण करता है और अन्य राज्यों को बिजली सपलाई करता है। राज्य की विनिर्माण गतिविधियां मुख्य रूप से धातु उत्पादन पर केंद्रित हैं।

छत्तीसगढ़ में कृषि

छत्तीसगढ़ की लगभग आधी भूमि पर कृषि की जाती है, जबकि शेष अधिकांश या तो वनों से घिरा है या खेती के लिए अनुपयुक्त है। मोटे तौर पर तीन-चौथाई कृषि भूमि पर खेती की जा रही है। अक्सर छत्तीसगढ़ को देश का चावल का कटोरा कहा जाता है, केंद्रीय तराई का मैदान, सैकड़ों चावल मिलों को अनाज की आपूर्ति करता है। 

ऊंचे इलाकों में मक्का और बाजरा अधिक होता है। कपास और तिलहन इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसलें हैं। बेसिन के किसान विशेष रूप से मशीनीकृत कृषि तकनीकों को अपनाने में धीमे रहे हैं। हल के वर्षो में मशोनो का उपयोग कृषि कार्य में बड़ा है। 

पशुधन और मुर्गी पालन भी यहाँ की प्रमुख व्यवसायो में से एक हैं। राज्य के पशुधन में गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर शामिल हैं। इन जानवरों की गुणवत्ता में सुधार के लिए कई केंद्र बने हैं। बिलासपुर और धार में कृत्रिम गर्भाधान और बकरियों के क्रॉसब्रीडिंग के लिए केंद्र स्थापित किये गए है। 

छत्तीसगढ़ में खनिज संसाधन

छत्तीसगढ़ खनिज सम्पदा से संपन्न राज्य है। हालांकि राज्य के कई संसाधनों का पूरी तरह से दोहन किया जाना बाकी है। यहाँ पे कोयले, लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट और डोलोमाइट के प्रमुख भंडार है। साथ ही टिन, मैंगनीज अयस्क, सोना और तांबे के महत्वपूर्ण भंडार भी उपलब्ध है। 

छत्तीसगढ़ देश में डोलोमाइट का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। यहाँ का लौह अयस्क,  उच्च गुणवत्ता वाला है, मुख्य रूप से राज्य के दक्षिण-मध्य और दक्षिणी भागों में इस तरह के डोलोमाइट पाए जाते है। रायपुर के पास हीरे के भंडार भी मिले हैं।

छत्तीसगढ़ जितनी बिजली की खपत करता है, उससे कहीं ज्यादा बिजली पैदा करता है। राज्य की बिजली का बड़ा हिस्सा थर्मल पावर प्लांट से आता है, जिनमें से कई  पावर प्लांट कोरबा में स्थित हैं। 

हालांकि, राज्य जलविद्युत ऊर्जा के संभावित स्रोतों से भी संपन्न है। मुख्य जलविद्युत परियोजनाएं बान सागर बांध और महानदी पर बने हीराकुंड बांध हैं। हसदेव बांगो जलविद्युत परियोजना कोरबा के पास स्थित है।

छत्तीसगढ़ में उद्योग

20वीं सदी के अंत से छत्तीसगढ़ का औद्योगीकरण-धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से- हो रहा है। इस नियोजित विकास के हिस्से के रूप में, सरकार ने कई औद्योगिक सम्पदाएं स्थापित की हैं, विशेष रूप से रायपुर और भिलाई नगर में।

अब दर्जनों बड़े और मध्यम स्तर के इस्पात उद्योग, गर्म धातु, पिग आयरन, स्पंज आयरन, रेल, सिल्लियां और प्लेट का उत्पादन कर रहे हैं। भिलाई नगर एक विशेष रूप से बड़े लौह-इस्पात संयंत्र का स्थल है। 

कई धातु उद्योग के साथ अन्य उद्योग उभर रहे है जिसमे माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक और उच्च तकनीक वाले ऑप्टिकल फाइबर शामिल है जिसे सरकारी सहायता प्राप्त हैं।

निजी क्षेत्र में सीमेंट उधोग प्रमुख हैं, साथ ही कागज, चीनी, कपड़ा, लकड़ी, आटा और तेल बनाने वाली मिश्रित मिलें स्थापित किये गए हैं। कई कारखाने उर्वरक, सिंथेटिक फाइबर और रसायनों का निर्माण भी यहाँ किया जाता हैं। छत्तीसगढ़ के अधिकांश लघु उद्योग पारंपरिक हस्तशिल्प के उत्पादन पर केंद्रित हैं, जिसमें वस्त्र, कालीन, मिट्टी के बर्तन, और सोने और चांदी के धागे की कढ़ाई शामिल हैं।

परिवहन

छत्तीसगढ़ देश के बाकी हिस्सों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राज्य से होकर कई राष्ट्रीय और राजकीय सड़को के साथ-साथ कुछ प्रमुख रेल मार्ग गुजरती है। छत्तीसगढ़ के अधिकांश बड़े शहर रेलवे जंक्शनों का केंद स्थल हैं। रायपुर और बिलासपुर के हवाई अड्डे वाणिज्यिक उड़ानों की सेवा प्रदान करते हैं, और रायगढ़, जगदलपुर और अंबिकापुर में हवाई अड्डों का विकास 2010 के दशक में शुरू हो गया है।

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