3. संधि : Joining
संधि शब्द का सामान्य अर्थ है - मेल या जोड़ना। संधि विच्छेद हिंदी ग्रामर का महत्वपूर्ण भाग है इसको समझ लेने का आर्ट जिसमें आ जाता है वह किसी भी कठिन शब्द का अर्थ आसानी से समझ सकता है। इससे पहले हमने पोस्ट किया था वर्ण विचार : Phonology पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ें नहीं तो आगे कन्टिन्यून करें।
यहां पर जो चीज हमें जाननी है वह है संधि विच्छेद के बारे में जिसे अंगेजी अक्षर sandhi viched के रूप में गूगल में सर्च किया जाता। तो इस पोस्ट में मैं इसी के बारे में बात करने वाला हूँ क्या होता है संधि विच्छेद और क्या होता है संधि ? साथ इस पोस्ट में हम इसके प्रकारों की भी चर्चा करने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
सबसे पहले हमें संधि-विच्छेद को समझने से पहले हमें इसी संधि विच्छेद को अलग अलग करके समझना होगा तभी यह हमें समझ में आएगा तो चलिए जानते हैं सबसे पहले संधि के बारे में क्योकि यह इसी से जुड़ा हुआ है।
संधि किसे कहते हैं
जब दो शब्द या पद एक-दूसरे के पास होते हैं तब उच्चारण की सुविधा और संक्षेपीकरण के लिए पहले शब्द की अंतिम और दूसरे शब्द की प्रारम्भिक ध्वनियाँ एक-दूसरे से मिल जाती हैं। ध्वनियों के मिलने से विकार उतपन्न होता है। यह विकार ही 'संधि' है।
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यदि इसको सरल भाषा में कहूं तो संधि अर्थात दो वर्ण या दो शब्दों का मिलना होता है जिसके मिलने से तिसरा वर्ण या उसी वर्ण का बड़ा रूप बनता है और अलग शब्द भी बन जाता है कभी कभी तो इस प्रकार दो शब्दों के मेल से बना शब्द, संधि शब्द कहलाता है।
संधि की परिभाषा
"दो ध्वनियों के परस्पर मेल से जो विकार अथवा परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। संधि केवल तत्सम शब्दों में ही होती हैं।"
जैसे - भोजन+आलय - भोजनालय (अ + आ = आ)उपरोक्त शब्द में पहले शब्द में पहले की अंतिम ध्वनि 'अ' और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि 'आ' से मिल गई हैं। इस प्रकार एक नवीन शब्द का निर्माण हुआ - भोजनालय। यहीं संधि है।
अब हम बात करे विच्छेद की तो विच्छेद का अर्थ होता है अलग करना। या दो भागों में बांटना इस प्रकार संधि विच्छेद का अर्थ हुआ जुड़े हुए शब्दों को अलग करना या दो भागों में बांटना।
अब सरल शब्दों में जाने -
संधि विग्रह किसे कहते हैं
विच्छेद का अर्थ है - अलग करना। संधियुक्त शब्दों को अलग करने की विधि संधि-विच्छेद कहलाती हैं। यहां संधि विच्छेद भी उसी प्रकार से किया जाता है जिस प्रकार उसे संधि अर्थात जोड़ा गया होता है। संधि को अंग्रेजी में जॉइंनिग (Joining) के नाम से जाना जाता है।
जैसे - गिरीश - गिरी + ईशहरिश्चंद्र - हरिः + चंद्र
मनोहर मनः + हर
तो यहां पर हमें संधि विच्छेद को समझने के लिए संधि के बारे में जानना जरूरी है तभी हम किसी भी शब्द का संधि विच्छेद कर सकते हैं और वह बिलकुल सही होगा, क्योकि संधि विच्छेद भी संधि के नियमों के हीसाब से होता है, तो संधि विच्छेद को समझना उतना ही आसान है जीतना की संधि को। तो चलिए आइये जानते हैं संधि के भेद के बारे में।
संधि के कितने भेद होते हैं
संधि निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं -
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
स्वर संधि किसे कहते हैं - दो स्वरों के पारस्परिक मेल से उतपन्न विकार या परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में कुल 11 स्वर वर्ण हैं तो यहां स्वर संधि का तात्पर्य यही है की स्वर वर्ण के मेल। जिसके मिलने के कारण अलग अलग परिवर्तन होते हैं जिसे विकार कहते हैं। इस प्रकार स्वर संधि के भी अलग अलग प्रकार हो जाते हैं क्योकि एक में पढ़ना मुश्किल भरा काम हो जाता है।
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स्वर संधि के कितने भेद हैं
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादि संधि
1. दीर्घ संधि - जब हस्व या दीर्घ 'अ', 'इ', 'उ' और 'आ', 'ई', 'ऊ' आपस में मिल जाते हैं तो वे दीर्घ स्वर 'आ', 'ई', 'ऊ' बन जाते हैं।
दीर्घ संधि के उदाहरण
अ + अ = आअधिक + अंश = अधिकांश
परम + अर्थ = परमार्थ
वेद + अंत = वेदांत
अ + आ = आ
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
छात्र + आवास = छात्रावास
परम + आत्मा = परमात्मा
आ + अ = आ
विदया + अर्थी = विद्यार्थी
रेखा + अंकित = रेखांकित
यथा + अर्थ = यथार्थ
आ + आ = आ
दया + आंनद = दयानंद
महा + आत्मा = महात्मा
चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
इ + इ = ई
अभि + इष्ट = अभीष्ट
कवि + इंद्र = महीन्द्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
इ + ई = ई
प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा
गिरि + ईश = गिरीश
हरि + ईश = हरीश
ई + इ = ई
शची + इंद्र = शचींद्र
मही + इंद्र = महींद्र
देवी + इच्छा = देवीच्छा
नारी + इच्छा = नारीच्छा
ई + ई = ई
रजनी + ईश = रजनीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
नदी + ईश = नदीश
मही + ईश = महीश
उ + उ = ऊ
भानु + उदय = भानूदय
लघु + उत्तर = लघूत्तर
अनु + उदित = अनूदित
ऊ + उ = ऊ
साधू + उत्सव = साधूत्सव
भू + उन्नति = भून्नति
वधू + उत्सव = वधूत्सव
2. गुण संधि - जब अ, आ के बाद 'इ', 'ई', 'उ', 'ऊ' या 'ऋ' आए तो दोनों मिलकर 'ए', 'ओ' या 'अर' बन जाते हैं।
गुण संधि का उदाहरण
अ + इ = एशुभ + इच्छा = शुभेच्छा
नर + इंद्र = नरेंद्र
सत्य + इंद्र = सत्येंद्र
अ + ई = ए
राम + ईश्वर = रामेश्वर
परम + ईश्वर = परमेश्वर
नर + ईश = नरेश
आ + इ = ए
रमा + इंद्र = रमेंद्र
महा + इंद्र = महेंद्र
राजा + इंद्र = राजेंद्र
आ + ई = ए
उमा + ईश = उमेश
रमा + ईश = रमेश
महा + ईश्वर = महेश्वर
अ + उ = ओ
वीर + उचित = वीरोचित
सूर्य + उदय = सूर्योदय
पर + उपकार = परोपकार
अ + ऊ = ओ
सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा
सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
आ + उ = ओ
महा + उदय = महोदय
महा + उत्सव = महोत्सव
विदया + उत्तमा = विदयोत्तम
आ + ऊ = ओ
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
महा + ऊर्जा = महोर्जा
दिवा + ऊष्मा = दिवोष्मा
अ + ऋ = अर
देव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
ब्रम्ह + ऋषि = ब्रम्हर्षि
आ + ऋ = अर
वर्षा + ऋतू = वर्षतु
महा + ऋषि = महर्षि
राजा + ऋषि = राजर्षि
3. वृहद संधि - जब 'अ', 'आ' के बाद 'ए', 'ऐ' या 'ओ', 'औ' आए तो दोनों मिलकर क्रमशः 'ऐ' एवं 'औ' बन जाते हैं।
वृहद संधि के उदाहरण
लोक + एषण = लौकेषण
एक + एक = एकैक
अ + ऐ = ऐ
धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य
मत + ऐक्य = मतैक्य
आ + ए = ऐ
सदा + एव = सदैव
तथा + एव = तथैव
अ + ओ = औ
महा + औदार्य = महौदार्य
महा + औषध = महौषध
4. यण संधि - जब 'इ', 'ई', 'उ', 'ऊ' और 'ऋ' के बाद कोई असमान स्वर आए तो 'इ', 'ई' का 'य', 'उ', 'ऊ' का 'य', 'व्' और 'ऋ' का 'अऱ' हो जाता है।
यण संधि के उदाहरण
इ + अ = ययदि + अपि = यदयपि
अति + अंत = अत्यंत
अति + अधिक = अत्यधिक
इ + आ = या
वि + आपक = व्यापक
इति + आदि = आदि
अति + आचार = अत्याचार
इ + उ = यु
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
इ + ऊ = यू
वि + ऊह = व्यूह
नि + ऊन = न्यून
इ + ए = ये
प्रति + एक = प्रत्येक
आधि + एता = अध्येता
इ + ऐ = यै
नदी + ऐश्वर्य = नदयैश्वर्य
सखी + ऐश्वर्य = सख्यैश्चर्य
5. अयादि संधि - जब स्वर 'ए', 'ऐ', 'ओ' और 'औ' के आगे कोई भिन्न स्वर आए तो 'ए' का 'अय', 'ऐ' का 'आय', 'ओ' का 'अव' और 'औ' का 'आव' हो जाता है।
अयादि संधि के उदाहरण
ए + अ = अयशे + अन = शयन
ने + अन = नयन
ऐ + अ = आय
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक
ओ + अ = अव
पो + अन = पवन
भो + अन = भवन
ओ + अ = आव
पौ + अक = पावक
पौ + अन = पावन
व्यंजन संधि किसे कहते है - व्यंजन वर्ण के बाद किसी अन्य व्यंजन के समीप होने पर जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
व्यंजन संधि के अनेक रूप होते हैं। नीचे कुछ प्रचलित रूप दिए जा रहे हैं, इन्हे पढ़ो एवं समझो। पहले शब्द अंतिम वर्ण अपने वर्ग का तीसरा वर्ण होता है।
व्यंजन संधि के उदाहरण
त का द = उत + घाटन = उदघाटनच का ज = अच् + अंत = अजंत
ट का ड = षट + दर्शन = षड्दर्शन
क का ग = दिक् + अंबर = दिगंबर
विसर्ग संधि किसे कहते हैं - विसर्ग (:) के बाद किसी स्वर या व्यंजन के आने पर विसर्ग में जो विकार या परिवर्तन होता है , उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
विसर्ग संधि के उदाहरण
निः + फल = निष्फलमनः + हर = मनोहर
जब विसर्ग से पहले 'अ' तथा बाद में 'अ' या किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण तथा 'य', 'र', 'ल', 'व', 'ह' में से कोई वर्ण आता है, तो विसर्ग 'ओ' में बदल जाता है।
मनः + बल = मनोबलमनः + अनुकूल = मनोनुकूल
तपः + वन = तपोवन
मनः + हर = मनोहर
मनः + योग = मनोयोग
मनः + कामना = मनोकामना
मनः + रथ = मनोरथ
पयः + धर = पयोधर
विसर्ग का 'र' में परिवर्तन - जब विसर्ग से पहले 'अ', 'आ' के अतिरिक्त कोई स्वर हो और बाद में किसी भी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण हो अथवा 'य', 'र', 'ल', 'व्', 'ह' में से कोई वर्ण हो, तो विसर्ग का 'र' में परिवर्तन हो जाता है।
दुः + गुण = दुर्गुणनिः + आशा = निराशा
निः + उत्साह = निरुत्साह
अंतः + गत = अंतर्गत
निः + भय = निर्भय
निः + गुण = निर्गुण
पुनः + निर्माण = पुनर्निर्माण
दुः + वासना = दुर्वासना
विसर्ग का 'श' में परिवर्तन - जब विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में 'च', 'छ' या 'श' हो तो विसर्ग का 'श' हो जाता है; जैसे-
निः + चिंत = निश्चिन्तनिः + चय = निश्चय
निः + चल = निश्चल
दुः + चक्र = दुश्चक्र
हरिः + चंद्र = हरीशचंद्र
दुः + शासन = दुश्शासन
विसर्ग का 'स' में परिवर्तन - जब विसर्ग के बाद 'त' या 'स' हो तो विसर्ग का 'स' हो जाता है ; जैसे-
निः + संदेह = निस्संदेहदुः + साहस = दुस्साहस
नमः + ते = नमस्ते
निः + संतान = निस्संतान
विसर्ग का 'ष' में परिवर्तन- जब विसर्ग के पूर्व 'इ' या 'उ' हो तो विसर्ग के बाद 'क', 'ख', 'ट', 'ठ', 'प' में से कोई वर्ण होता है, तो ऐसी स्थिति में विसर्ग का 'ष' हो जाता है; जैसे-
निः + कलंक = निष्कलंकनिः + पाप = निष्पाप
निः + काम = निष्काम
दुः + प्रकृति = दुष्प्रकृति
दुः + कर = दुष्कर
निः + फल = निष्फल
सारांश - इस अध्याय में हमने जाना कि सन्धि क्या है? सन्धि विच्छेद क्या है? सन्धि के कितने भेद होते हैं? सन्धि के प्रकारों और विभिन्न उदाहरण हमें इस पोस्ट में देखने को मिला। more info click below
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