7. समास : Compound
आपका स्वागत है मेरे इस ब्लॉग पर जिसमें हम बातें करते हैं हिंदी भाषा में समान्य ज्ञान से जुड़े विभिन्न प्रकार के टॉपिक्स जैसे छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी व्याकरण, और भी बहुत कुछ।
आज इस पोस्ट में हम आपसे बात करने वाले हैं हिंदी ग्रामर या जिसे हिंदी व्याकरण भी कहा जाता है से जुडी समास, समास विग्रह समास के भेद के बारे में।
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है खिलावन और आप पढ़ रहे हैं Question Field Hindi आइये जानते हैं समास के बारे में समास का समान्य अर्थ को सबसे पहले जानते हैं आखिर समास का समान्य अर्थ क्या होता है?
समास की परिभाषा samas in hindi
समास का सामान्य अर्थ होता है 'संक्षेप' दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों के मेल से शब्द बनाने की जो प्रक्रिया है उसे ही समास कहते हैं अर्थात उन दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो नया शब्द बनता है वह शब्द समास शब्द है।
समास के उदाहरण
आइये इसे कुछ उदाहरण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं जैसे कि शिव जी को एक और नाम से जाना जाता है त्रिलोचन जिसे इस प्रकार भी बोला जा सकता है- तीन है लोचन ( नेत्र ) जिसके इसे कम शब्दों में त्रिलोचन कहा जाता है। इसी प्रकार के अन्य उदाहरण जैसे - घोड़े पर सवार (घुड़सवार), दस है आनन जिसके (रावण) (दशानन) आदि।
समास विग्रह किसे कहते हैं
इसी प्रकार दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने समासिक शब्दों को अलग करने की प्रक्रिया समास विग्रह कहलाती है। एक और बात जब तक हम किसी भी समासिक शब्द का विग्रह नही करते तब तक हमें पता नहीं चलता की कोन सा समास उस पद में है।
समास के भेद कितने होते हैं
समास के भेद को हम उसके प्रकार भी कह सकते हैं जो की इस प्रकार है आईये जाने समास के उन प्रकारो नाम हिंदी व्याकरण में समास के मुख्य रुप से छः भेद हैं जो की इस प्रकार हैं
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वन्द समास
- बहुब्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास की परिभाषा
अव्ययीभाव समास - जिस समास पद का पूर्व पद प्रधान होने के साथ अव्यय भी हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं इस प्रक्रिया से बना समासिक पद भी अव्यय की भाँती कार्य करता है। कभी-कभी संज्ञा शब्दों की आवृत्ति से भी अव्ययीभाव समास बनता है।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण -
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. यथा शक्ति | शक्ति के अनुसार |
2. आजन्म | जन्म से लेकर |
3. कानोंकान | कान ही कान में |
4. बेफायदा | फायदे के बिना |
2. तत्पुरुष समास की परिभाषा
तत्पुरुष समास - जिन समस्त पद में उत्तर पद मतलब प्रथम पद के बाद आने वाला पद प्रधान हो तथा विग्रह करने पर कारक के विभक्ति चिह्न आएं, उन्हें तत्पुरुष समास कहते हैं।
तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
उत्तर - तत्पुरुष समास के छः भेद होते हैं जो नीचे दिए गए है।
1. कर्म तत्पुरुष समास - जिन समासों के पूर्व पद में कर्म कारक की विभक्ति 'को' का लोप हो, उन्हें कर्म तत्पुरुष कहते हैं।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण -
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. ग्रंथ कार | ग्रंथ को करने वाला |
2. पदप्राप्त | पद को प्राप्त |
3. रथचालक | रथ को चलाने वाला |
4. गुरु दक्षिणा | गुरु को दी गई दक्षिणा |
2. करण तत्पुरुष समास - जिन समासों के पूर्व पद में करण कारक की विभक्ति 'से' का लोप हो, उन्हें 'करण तत्पुरुष' कहते हैं।
करण तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. शोकाकुल | शोक से आकुल |
2. भुखमरा | भूख से मरा |
3. रोगमुक्त | रोग से मुक्त |
4. अकालपीड़ित | अकाल से पीड़ित |
5. प्रेमातुर | प्रेम से आतुर |
6. धनसम्पन्न | धन से सम्पन्न |
3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास - जिन समासों के पूर्व पद में सम्प्रदान कारक की विभक्ति 'के लिए' का लोप हो, उन्हें 'सम्प्र्दान तत्पुरुष' कहते हैं।
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. हथकड़ी | हांथों के लिए कड़ी |
2. गुरु दक्षिणा | गुरु के लिए दक्षिणा |
3. गौशाला | गौशाला के लिए शाला |
4. देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
5. रसोईघर | रसोई के लिए घर |
6. हवन सामग्री | हवन के लिए सामग्री |
7. डाकघर | डाक के लिए घर |
8. युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि |
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. आकाशवाणी | आकाश से आगतवाणी |
2. धर्मभ्रष्ट | धर्म से भ्रष्ट |
3. भयभीत | भय से भीत |
4. पदच्युत | पद से च्युत |
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. गुणहीन | गुण से हीन |
2. आज्ञानुसार | आज्ञा के अनुसार |
3. गृहस्वामिनी | गृह की स्वामिनी |
4. देवालय | देव का आलय |
5. गंगा तट | गंगा का तट |
6. ऋणुक्त | ऋण से मुक्त |
7. राजपत्र | राजा का पुत्र |
8. राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति |
9. गुरुभाई | गुरु के सबंध से भाई |
10. पराधीन | पर के आधीन |
6. अधिकरण तत्पुरुष समास - जिन समासों में अधिकरण कारक की विभक्ति 'में' या 'पर' का लोप हो, उन्हें 'अधिकरण तत्पुरुष' कहते हैं।
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. घुडसवार | घोड़ों पर सवार |
2. पुरुषोत्तम | पुरुषों में उत्तम |
3. आत्मविश्वास | आत्मा (स्वयं) पर विश्वास |
4. गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
3. कर्मधारय समास की परिभाषा
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. पीतांबर | पीत (पीला) है जिसका अंबर |
2. श्वेतांबर | श्वेत है जिसके अंबर |
3. नीलकंठ | नीले हैं जिसके कंठ |
4. क्रोधाग्नी | क्रोध रूपी अग्नी |
5. घनश्याम | घन के समान श्याम |
6. कमलनयन | कमल के समान नयन |
7. महादेव | महान है जो देव |
8. नीलगाय | नीली है जो गाय |
9. चन्द्रमुख | चंद्र के समान मुख |
10. कनकलता | कनक के समान लता |
11. स्त्रीरत्न | स्त्री के रूपी रत्न |
4. द्विगु समास का अर्थ
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. शताब्दी | सौ वर्षो का समूह |
2. पंचवटी | पाँच वटों का समूह |
3. सप्ताह | सात दिनों का समूह |
4. सप्तर्षि | सात ऋषियों का समूह |
5. नवग्रह | नव ग्रहों का समाहार |
6. चौराह | चार राहों का समूह |
7. तिरंगा | तीन रंगों का समूह |
8. नवरत्न | नौ रत्नों का समूह |
9. सतसई | सात सौ दोहों का समूह |
10. सप्तद्वीप | सात द्वीपों का समूह |
5. द्वन्द समास की परिभाषा
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. आशा-निराशा | आशा और निराशा |
2. भाई-बहन | भाई और बहन |
3. अमीर-गरीब | अमीर और गरीब |
4. राजा-रंक | राजा और रंक |
5. हानि-लाभ | हानि और लाभ |
6. ऊंच-नीच | ऊंच और नीच |
7. माँ-बाप | माँ और बाप |
8. भला-बुरा | भला और बुरा |
9. रुपया-पैसा | रुपया और पैसा |
10. सुख-दुःख | सुख और दुःख |
11. देवासुर | देव और असुर |
12. राधा-कृष्ण | राधा और कृष्ण |
6. बहुब्रीहि समास
समस्त पद | समास विग्रह |
---|---|
1. त्रिनेत्र | तीन नेत्र हैं जिसके (शिव) |
2. दशानन | दश (दस) हैं आनन जिसके (रावण) |
3. नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका (शिव) |
4. चक्रधर | चक्र धारण करने वाला (कृष्ण) |
5. चंद्रशेखर | चंद्र है शेखर (मस्तक) पर जिसके (शिव) |
6. घनश्याम | घन के समास श्याम हैं जो (कृष्ण) |
7. बारहसिंगा | बारह हैं सींग जिसके (एक विशेष पशु) |
8. पीतांबर | पीत (पीला) हैं अंबर जिसके (कृष्ण) |
9. मुरलीधर | मुरली को धारण करने वाले हैं जो (कृष्ण) |
10. चतुर्भुज | चार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु) |
11. महात्मा | महान है आत्मा जिसकी |
द्विगु | कर्मधारय | बहुब्रीहि |
---|---|---|
द्विगु समास में पूर्व पद संख्यावाचक होता है। | कर्मधारय समास में पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष्य या उपमेय तथा दुसरा उपमान होता है। | बहुब्रीहि समास में पूर्व पद तथा उत्तर पद दोनों ही प्रधान न हों और कोई अन्य पद प्रधान न हो जाता है। |
उदाहरण के आधार पर अंतर् - त्रिलोचन- तीन लोचनों का समूह | त्रिलोचन- तीन हैं जो लोचन | त्रिलोचन- तीन लोचन हैं जिसके (शिव) |
संधि | समास |
---|---|
जब दो ध्वनियों के पास होने पर उनके मेल से जो विकार अथवा परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं। | दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक मेल से जब एक नया शब्द बनाया जाता है, उसे समास कहते हैं। |
संधि के तीन भेद होते हैं- 1.स्वर संधि 2.व्यंजन संधि 3.विसर्ग संधि | समास के छः भेद होते हैं-1.अव्ययीभाव समास 2.तत्पुरुष समास 3.कर्मधारय समास 4.द्विगु समास 5.द्वन्द समास 6.बहुब्रीहि समास उदाहरण- नेत्रहीन = नेत्र से हीन |
आइये जाने इस पोस्ट में हमें क्या क्या जाना
- समास का अर्थ है 'संक्षेप' या दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों के मेल से शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं।
- तत्पुरुष समास में पहला पद अव्यय होता है।
- बहुब्रीहि समास में दोनों पदों के अतिरिक्त किसी भी तीसरे पद की प्रधानता होती है।
आइये देखें कुछ प्रश्नो के माध्यम से
(क) परमात्मा शब्द का समास विग्रह बताओ।
(ख) तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं? प्रत्येक भेद का एक-एक उदाहरण दो।
(ग) द्विगु, कर्मधारय और बहुब्रीहि समास में एक उदाहरण देकर अंतर बताओ।
1. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर को मन से लिखिए
(क) समास किसे कहते हैं? समास के कितने भेद होते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
(ख़) बहुब्रीहि समास से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
(घ) संधि और समास में अंतर स्पष्ट करो।
2. बॉक्स में दिए गए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-
कर्मधारय, द्वन्द, द्विगु समास छः अव्ययीभाव
(क) जिस समस्त पद का पूर्व पद प्रधान होने के साथ अव्यय भी हो, उसे------समास कहते हैं।
(ख) तत्पुरुष समास के ------ भेद हैं।
(ग) जिन समासों में पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो तथा समस्त पद समूह का बोध कराए तो उन्हें --------- कहते हैं।
(घ) जिन समासों में दोनों पद प्रधान होते हैं और पदों के बीच आने वाले योजक जैसे 'और' अथवा का लोप हो जाता है, वहाँ --------- समास होता है।
(ङ) 'पीतांबर-पीला है अंबर जिसका (कृष्ण)---------समास है।
3. दिए गए शब्दों का विग्रह करके समास के भेद लिखिए -
- रोगमुक्त
- गृह प्रवेश
- प्रसंगानुसार
- देवालय
- युधिष्ठिर
- नीलकमल
- पाठशाला
- धर्मभृष्ट
- कमल के समान नयन -
- राजा और प्रजा -
- नीला है कंठ जिसका -
- गृह में प्रवेश -
- गुरु रूपी देव -
- नव ग्रहों का समाहार -
- जन्म भर -
- चार
- छः
- तीन
- तत्पुरुष
- अव्ययी भाव
- कर्मधारय
- कर्म तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- सम्प्रदान तत्पुरुष
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