Syntax : वाक्य विचार Hindi Grammar By Rexgin

 18.  वाक्य विचार : Syntax

आपका स्वागत है Question Field Hindi के इस हिंदी व्याकरण Tutorial में पिछले Post में हमने आपको बताया था वाच्य (Voice) के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं, वाक्य विचार के बारे में जिसे अंग्रेजी ग्रामर (English Grammar) में Syntax कहते हैं। 

जब हम किसी से बात करते हैं तो हमें इसकी आवश्यकता पड़ती है। जब हम कोई बात किसी से कहते हैं तो वह शुद्ध होना चाहिए और वाक्य के शुद्ध होने के लिए उसका एक निश्चित क्रम में संज्ञा और सर्वनाम का प्रयोग करने के साथ साथ क्रिया का भी एक निश्चित क्रम में होना चाहिए। 

इसका प्रयोग हम मुख्य रूप से व्याकरण सम्मत शुद्ध भाषा बोलने में किसी भी भाषा के साथ करते हैं फिलहाल हम अभी इसे हिंदी व्याकरण में पढ़ रहे हैं आने वाले Tutorial में हम आपको अंग्रेजी ग्रामर में भी इसके बारे में बताएंगे। 

वाक्य विचार की परिभाषा

किसी भी कथन का पूरा भाव प्रकट करने वाले सार्थक शब्द समूह के मेल को वाक्य कहते हैं। 

आइये हम कुछ वाक्यों को पढ़ें और समझने की कोशिस करें। 

खिलावन अपना घर का काम स्वयं करता है। 

मैं खाना खा रहा हूँ। 

आपने देखा की इन वाक्यों में शब्दों को एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित किया गया है और इसी कारण इसका एक सार्थक अर्थ प्रकट हुआ है। 

आइये इसे और गहराई से समझें यहां खिलावन एक कर्ता है जो की अपने घर का काम खुद करता है। काम यहां क्रिया हैं जिसको किया जा रहा है। तथा मैं एक सर्वनाम है जो की खाना खा रहा है। 

अगर इनके क्रम को बदल दिया जाए या शब्द समूह को बदल दिया जाए तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है।

आइये जानते हैं वाक्य के लक्षण के बारे में 

वाक्य के लक्षण 

वाक्य के लक्षण के दो भेद हैं जो की इस प्रकार है -

  1. पदक्रम 
  2. अन्विति 

1. पदक्रम - किसी भी वाक्य में प्रयोग किये गए शब्द को पद कहते हैं। और किसी भी वाक्य में ये पद निश्चित क्रम में आते हैं जिसे पदक्रम कहते हैं। कभी भी पदक्रम के ठीक नही होने पर वाक्य नहीं बनता है। 

जैसे - 

  1. बनूँगा होकर आशिक मैं बड़ा। (पदक्रम ठीक न होने से यह वाक्य नहीं है।)
  2. मैं बड़ा होकर सिपाही बनूँगा। (यह शुद्ध वाक्य है।)

2. अन्विति - कोई वाक्य तभी बनता है जब उसमें पदों का मेल होता है और इसी प्रकार पदों के परस्पर मेल को अन्वय या अन्विति कहते हैं। यह मेल व्याकरण-सम्मत होना चाहिए अर्थात कर्ता के पुल्लिंग-एकवचन के अनुसार क्रिया का लिंग-वचन, विशेषण-विशेष्य का संबंध आदि; जैसे - 
  1. बच्चे खेल रहा है। (गलत)
  2. बच्चा खेल रहा है। (सही)
  3. बच्चे खेल रहे हैं। 

वाक्य के अंग 

वाक्य के अंग को दो प्रकारों में बांटा गया है -

  1. उद्देश्य 
  2. विधेय 
आइये विस्तार से जाने 

उद्देश्य - कोई भी वाक्य हो उसमें व्यक्ति, वस्तु , घटना के विषय में जरूर बताया जाता है। इसलिए वाक्य के विषय को उद्देश्य कहते हैं। 
जैसे - 
  1. मोना पुस्तक लिख रही है। 
  2. तितली फूलों पर मंडरा रही  थीं। 
पहला वाक्य मोना के बारे में बता रहा है, इसलिए इसका उद्देश्य - मोना। दूसरे वाक्य में उद्देश्य है - तितली उद्देश्य में वाक्य की क्रिया का कर्ता और उसके विशेषणों को भी माना जाता है: जैसे - 
  1. मेरा भाई मनोहर (उद्देश्य)
  2. पुस्तक लिख रहा है। (विधेय)
विधेय - विधेय का अर्थ है किसी के बारे में बताना। उद्देश्य के बारे में जो कुछ वाक्य में बताया जाता है , उसे वाक्य का विधेय कहते हैं ; जैसे -
पदमा पत्र लिख रही है। 
तितली फूलों पर मँडरा रही थी। 
पहले वाक्य में विधेय है - 'पत्र लिख रही है' और दूसरे में 'फूलों पर मँडरा रही थी।'

पदबंध - वाक्य में कम से कम दो पद अवश्य होते हैं - संज्ञा पद और क्रिया पद; जैसे - 
  1. सूरज गिरा। 
  2. विशाल खेल रहा है। 
इसलिए कह सकते हैं की वाक्य - संज्ञा पद+क्रिया पद से मिलकर बना होता है। 

पहला वाक्य 'सूरज गिरा।' वाक्य दो पदो से बना है जिनमें एक कर्ता का उद्देश्य है और दूसरा क्रिया विधेय। ये दोनों पद वाक्य के भीतर बंधे हैं, इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि वाक्य में दो पदबंध हैं। यह वाक्य बड़ा भी हो सकता है; 
जैसे - 

मेरी बड़ी बहन रुपाली आई थी। कल शाम चार बजे गई थी। 

उपरोक्त वाक्यों में आई थी क्रिया पदबंध है। इसका कर्ता है मेरी बड़ी बहन रुपाली। यह संज्ञा पदबंध है। इसी प्रकार गई थी की विशेषता बताने वाला क्रिया विशेषण का काम कर रहा है - कल शाम चार बजे। 
इसे क्रिया विशेषण पदबंध कहेंगे। 

मेरी बड़ी बहन रुपाली पदबंध में यद्यपि चार पद हैं जो क्रमशः सर्वनाम , विशेषण , संज्ञा है , पर सब मिलकर संज्ञा का प्रकार्य कऱ रहे हैं। इसलिए इस पूरे पद समूह को संज्ञा पदबंध कहेंगे। 

इस प्रकार वाक्य के भीतर पदबंध एक पद का भी हो सकता है। और एक से अधिक पदों का भी। 
पदबंध के प्रकार - पदबंध के पाँच प्रकार होते हैं --
  1. संज्ञा पदबंध 
  2. सर्वनाम पदबंध 
  3. विशेषण पदबंध 
  4. क्रियाविशेषण पदबंध 
  5. क्रिया पदबंध 
1. संज्ञा पदबंध - जो पदबंध वाक्य में संज्ञा का कार्य करे , संज्ञा पदबंध कहेंगे। वाक्य में संज्ञा पदबंध या तो कर्ता का काम करता है या पूरक का ; जैसे -

देश के प्रधानमंत्री  के बेटे ने/ सभी मित्रों को अपने घर पर बुलाया। 

2. सर्वनाम पदबंध - संज्ञा पद के समान सवर्नाम पदबंध भी कर्ता या कर्म/पूरक का कार्य करते हैं ; जैसे - 
मैं आपको / मिठाई / खिलाऊँगी। 

यहां मै और आपको सर्वनाम पद हैं। 

3. विशेषण पदबंध - विशेषण पदबंध दरअसल संज्ञा पदबंध के विस्तार हैं , इसलिए संज्ञा पदबंध विशेष्य होता है और उसकी विशेषता बताने वाले पद (एक या अधिक) विशेषण पदबंध कहलाते हैं; जैसे -

जंगल में रहने वाला बाघ, शिकारियों द्वारा मार दिया गया।
 

इस वाक्य में जंगल में रहने वाला विशेषण पदबंध है, जो की बाघ संज्ञा पदबंध की विशेषता बता रहा है। इस पदबंध में 'बाघ' भी शामिल करने पर यह संज्ञा पदबंध हो जाएगा। 


4. क्रियाविशेषण पदबंध - जिस तरह विशेषण पदबंध संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उसी तरह क्रियाविशेषण पदबंध क्रिया पदबंध की विशेषता बताते हैं; जैसे -
  1. दीपक धीरे-धीरे जल रहा है। 
  2. पाँच दिन के बाद वर्षा हुई। 
  3. आजकल बहुत गर्मी पड़ रही है। 
आइये इन वाक्यों की मदद से समझने की कोशिश करें- 

इन वाक्यों में आजकल तथा पाँच दिन के बाद कालवाचक और धीरे-धीरे रीतिवाचक क्रियाविशेषण पदबंध है, क्योंकि ये क्रिया के होने का समय और रीति बता रहे हैं। 

5. क्रिया पदबंध - जो पदबंध क्रिया का प्रकार्य करते हैं, उन्हें क्रिया पदबंध कहते हैं ; जैसे -
  1. मेरा भाई रो रहा है। 
  2. सोनिया तो अब तक पढ़ रही होगी। 
अर्थ के आधार पर वाक्यों के भेद - अर्थ के आधार पर वाक्यों के भेद को देखें तो ये आठ प्रकार के माने जाते हैं जो की इस प्रकार हैं -
  1. विधानवाचक वाक्य
  2. आज्ञावाचक / आदेशात्मक वाक्य 
  3. इच्छावाचक वाक्य 
  4. संदेहवाचक वाक्य 
  5. संकेतवाचक वाक्य 
  6. विस्मयादिवाचक वाक्य 
  7. प्रश्नवाचक वाक्य 
  8. निषेधवाचक वाक्य 
आइये इनके बारे में बारी बारी से और विस्तार से जानें -

1. विधानवाचक वाक्य - इस प्रकार के वाक्यों से वक्ता / लेखक अपने श्रोता / पाठक को कुछ जानकारी देता है जो किसी व्यक्ति , वस्तु या घटना के बारे में हो सकती है ; जैसे - 

  1. सोनिया जयपुर गई। (व्यक्ति) 
  2. मेरा घर रायपुर में है। (वस्तु)
  3. हम सर्कस देख रहे हैं। (घटना)

2. आज्ञावाचक / आदेशावाचक वाक्य - इस प्रकार के वाक्य में वक्ता / लेखक अपने श्रोता/पाठक को कुछ करने के लिए कहता है ; जैसे -

  1. जाओ और अपना काम करो। 
  2. जाओ, सबको खाना खिलाओ। 

3. इच्छावाचक वाक्य - इस प्रकार के वाक्यों से कोई इच्छा या कामना व्यक्त की जाती है ; जैसे -  

  1. ईश्वर आपको ख़ुशी दे!
  2. आपका दिन शुभ हो!

4. संदेहवाचक वाक्य - इन वाक्यों से संदेह या संभावना का भाव व्यक्त होता है ; जैसे -

  1. वकील साहब शायद आज हाँ कर दें। 
  2. इस समय वह घर जा रहा होगा। 

5. संकेतवाचक वाक्य - 'संकेत' का अर्थ शर्त है, इसलिए इस प्रकार के वाक्यों में शर्त का भाव रहता है ; जैसे - 

  1. यदि बरसात न हुई होती तो मैं विद्द्यालय अवश्य जाता। 
  2. अगर तुम मेहनत करते हो तो सफल जरूर होंगे। (पहला उपवाक्य शर्त है)

6. विस्मादिवाचक वाक्य - इस प्रकार के वाक्यों में वक्ता/लेखक किसी के विषय में अपने उदगार या विषमयादि मनोभाव व्यक्त करता है ; जैसे - 

  1. वाह! कितना सुंदर दृश्य है। 
  2. अरे! तुम कहाँ थे अभी तक?

7. विस्मयादिवाचक वाक्य - इस प्रकार के वाक्यों में वक्त आया लेखक किसी के विषय में अपने उदगार या उस माध्यम अनुभव व्यक्त करता है जय श्री वाह कितना सुंदर दृश्य है अरे तुम कहां थे अभी

 8. प्रश्नवाचक वाक्य - समान्यतः विधानवाचक वाक्य में प्रश्नवाचक सर्वनाम जोड़कर ही नहीं बनाया जाता है यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं; जैसे - 

  1. तुम यहां क्या करने आए हो?
  2. आखिर तुम क्या चाहते हो। 

9. निषेधात्मक निषेधवाचक वाक्य - जिन वाक्यों में निषेध होता है, उन्हें निषेधात्मक या नकारात्मक वाक्य कहते हैं।  विस्मयार्थक वाक्यों को छोड़कर सभी प्रकार के वाक्य न, नहीं, मत के प्रयोग से निषेधात्मक वाक्य बन सकते हैं; जैसे - 

  1. धोनी बॉलिंग नहीं कर सका। 
  2. यह तुम्हारा काम नहीं है। 

 रचना के आधार पर वाक्य के भेद - 

संरचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं -

  1. सरल
  2. संयुक्त
  3. मिश्रित

1. सरल वाक्य- जिन वाक्य में एक देश और एक विधि होता है उसे सरल वाक्य कहते हैं। 

  1.  बच्चे पार्क में खेल रहे हैं। 
  2. महात्मा गांधी साबरमती आश्रम में रहते थे। 

 इन वाक्यों में एक-एक क्रियापदबंध है। अतः ये सरल वाक्य हैं। 

 2. संयुक्त वाक्य - जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक सामान उपवाक्य किसी योजक से जुड़े होते हैं, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं। संयुक्त वाक्य से जुड़े उपवाक्य आपस में समानाधिकरण उपवाक्य कहे जाते हैं। 

  1.  परिश्रम करने से ज्ञान बढ़ता है तथा बुद्धि भी बढ़ती है। 
  2. सुषमा कल बीमार थी, इसलिए विद्यालय नहीं आई। 

3. मिश्रित वाक्य - मिश्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य होता है और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो अपने पूरे अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए प्रधान उपवाक्य पर निर्भर होते हैं; जैसे-

  1.  जो पुस्तक आपने मुझे दी थी मैंने पढ़ ली है। 
  2.  सुषमा ने कहा कि मैं अपना काम स्वयं करूंगा। 

 आश्रित उपवाक्य के प्रकार - आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं

1. संज्ञा उपवाक्य - जो उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य की संज्ञा पदबंध के साथ स्थान पर प्रयुक्त होते हैं उन्हें संज्ञा उपवाक्य कहते हैं वाक्यों से पहले प्रायः की का प्रयोग होता है किंतु कुछ स्थितियों में की का प्रयोग नहीं भी होता है विशेषकर जब आश्रित उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य के पहले आता है जैसे

  1. मुकेश ने बताया कि वह आज गुरुद्वारे जा रहा है। 
  2. वह अवश्य आएगा, मैं जानता हूं। 

2. विशेषण उपवाक्य - जो उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण उपवाक्य कहते हैं इस प्रकार के वाक्यों से पहले प्रायः संबंधवाचक सर्वनाम जो के किसी रूप का प्रयोग होता है जैसे

  1. जो घड़ी आपने मुझे दी थी, वह खो गई है। 
  2. जो व्यक्ति कल आपने देखा था, वह एक महान लेखक है। 

3. क्रिया विशेषण उपवाक्य - जो आश्रित उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते हैं कभी-कभी यह उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य की क्रिया के अतिरिक्त किसी विशेषण यात्रियों विशेषण को भी विशेषता बताते हैं जैसे

  1.  शुभम इतना मोटा है ऊपर नहीं आ सकती। (विशेषण की विशेषता)
  2. वह इतना तेज चलता है कि उसके साथ चला नहीं जा सकता। (क्रियाविशेषण की विशेषता)
  3. जब मैं घर में था तो काम स्वयं करता था। (क्रिया की विशेषता)

 वाक्य- परिवर्तन

  •  सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य बनाना - सरल वाक्य को जब संयुक्त वाक्य बनाना होता है तो सरल वाक्य को दो उपवाक्यों में बांट कर उन्हें , अथवा तथा किंतु आदि समुच्चयबोधक अव्ययों से जोड़ देते हैं; जैसे -

  1.  सरल - विवेक छत पर बैठकर पढ़ने लगा। 
  2. संयोगिता - विवेक छत पर गया और बैठकर पढ़ने लगा। 
  3.  सरल - मोनिका नृत्य सीखकर घर चली गई। 
  4.  संयुक्त - मोनिका ने नृत्य सीखा और घर चली गई। 

  •  सरल वाक्य से मिश्रित वाक्य बनाना - सरल वाक्यों को पहले दो उपवाक्यों में बांटा जाता है फिर दोनों उपवाक्यों को आदि समुच्चयबोधक अवयवों से जोड़कर उनको मिश्रित वाक्य बनाया जा सकता है; जैसे- कि, क्योंकि, यदि, जब आदि। 

  1. सरल - मेहनत करने से सफलता मिलती है। 
  2. मिश्रित - यदि मेहनत करोगे तो सफलता मिलेगी। 
  3. सरल - तेहन पापा को देखते ही भाग गया। 
  4. मिश्रित - जब तेहन ने पापा को देखा वह भाग गया। 

  •  संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य बनाना - संयुक्त वाक्य को सरल वाक्य बनाने के लिए, उसके एक उपवाक्य की क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया या क्रियार्थक संज्ञा में बदल सकते हैं; जैसे -

  1. संयुक्त - आप यहां रुकीए और आराम कीजिए। 
  2. सरल - आप यहां रुककर आराम कीजिए। 
  3. संयुक्त - मीना हंसी और बोली। 
  4. सरल - मीना हंसकर बोली। 

  •  मिश्रित वाक्य से सरल वाक्य बनाना - मिश्र वाक्यों का सरल वाक्य में रूपांतरण करने के लिए मिश्रित वाक्य की आश्रित उपवाक्यों को विशेषण, कर्मा या क्रिया विशेषण के रूप में बदला जाता है; जैसे -

  1. मिश्र - पिताजी ने कहा था कि कल मुझे एक नई पुस्तक मिलेगी। 
  2. सरल - पिताजी के कहने के अनुसार कल मुझे एक नई पुस्तक मिलेगी। 
  3. मिश्रा - युवती सच बोलते हैं उनका आदर करते हैं। 
  4. सरल - सच बोलने वालों का सभी सम्मान करते हैं। 

  • दो सरल वाक्यों का एक सरल संयुक्त मिश्रित वाक्य में रूपांतरण -

  1. दोस्त सरल वाक्य - मैं पढ़ता हूं। मेरा विद्यालय पास में है। 
  2. एक सरल वाक्य - मैं पास के विद्यालय में पढ़ता हूं। 
  3. एक संयुक्त वाक्य - मेरा विद्यालय पास में है और मैं वहां पढ़ता हूं। 
  4. एक मिश्रित वाक्य - मेरा विद्यालय पास में है जहां मैं पढ़ता हूं। 

आइए जाने हमने क्या-क्या सीखा (Let's Revise)

  • शब्दों के सार्थक व व्यवस्थित क्रम को वाक्य कहते हैं। 
  • वाक्य के 2 अंग होते हैं उद्देश्य और विधेय। 
  •  रचना के आधार पर तीन भेद होते हैं सरल वाक्य संयुक्त वाक्य और मिश्र वाक्य। 
  • प्रधान उपवाक्य किसी दूसरे उपवाक्य पर आश्रित नहीं होते हैं।  
  •  वाक्य के दो भेद होते हैं अर्थ के आधार पर और रचना के आधार पर। 
  • आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं संज्ञा उपवाक्य विशेषण उपवाक्य क्रिया विशेषण उपवाक्य। 

 अभ्यास

 सोचिये और बताइए 

1. आश्रित उपवाक्य किस पर आश्रित होते हैं?

उत्तर - आश्रित उपवाक्य स्वतंत्र उपवाक्य के संज्ञा एवं क्रिया पर आश्रित होते हैं। 


2. विशेषण पदबंध के दो उदाहरण बताओ?

उत्तर - विशेषण पदबंध के दो उदाहरण इस प्रकार हैं -

  1. जंगल में रहने वाला बाघ, शिकारियों द्वारा मार दिया गया।
  2. जो लोग बातें कर रहे हैं, वे कभी भी समझ नही सकते हैं। 


3. आश्रित उपवाक्य कौन-कौन से होते हैं?

उत्तर - आश्रित उपवाक्य को तीन प्रकारों में बांटा गया है -

  1. संज्ञा उपवाक्य। 
  2. विशेषण उपवाक्य। 
  3. क्रिया विशेषण उपवाक्य। 

4. दो सरल वाक्य का एक सरल संयुक्त तथा मिश्रित वाक्य में रूपांतरण उदाहरण देकर करो। 

उत्तर - दोस्त सरल वाक्य - मैं पढ़ता हूं। मेरा विद्यालय पास में है। 

एक संयुक्त वाक्य - मेरा विद्यालय पास में है और मैं वहां पढ़ता हूं। 

एक मिश्रित वाक्य - मेरा विद्यालय पास में है जहां मैं पढ़ता हूं। 

 समेटिव अभ्यास

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

(क) मिश्र वाक्य किसे कहते हैं?

उत्तर - मिश्र वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य होता है और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं जो अपने पूरे अर्थ की अभिव्यक्ति के लिए प्रधान उपवाक्य पर निर्भर होते हैं। 

(ख) प्रधान उपवाक्य से आप क्या समझते हैं?

उत्तर - प्रधान उपवाक्य स्वतंत्र वाक्य होते हैं जो किसी अन्य वाक्य पर आश्रित नही होता है। 

2. बॉक्स में दिए गए शब्दों के प्रयोग से रिक्त स्थान को भरिये -

 आप पृथ्वी गांधीजी क्या गंगा 

  1. __गांधीजी__सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे। 
  2. __क्या__ अंदर आ सकता हूं। 
  3. __आप__ यहां काम शाम तक कर लेना। 
  4. __गंगा__का जल प्रदूषित होता जा रहा है। 
  5. __पृथ्वी__ सूर्य की परिक्रमा 365 दिन में करती है। 

3. सही या गलत बताइए -

(क) आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं। 

उत्तर - सहीं। 

(ख) जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य होते हैं और पूरे अर्थ के लिए प्रधान उपवाक्य पर निर्भर रहना पड़ता है उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। 

उत्तर - गलत। 

(ग) जिस वाक्य में संदेह है या संभावना का भाव व्यक्त होता है, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। 

उत्तर - गलत। 

(घ) जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उसे सरल वाक्य कहते हैं। 

उत्तर - सही। 

 (ङ) पदों (शब्दों) का वह व्यवस्थित समूह, जिसमें पूर्ण अर्थ देने की क्षमता हो उसे वाक्य कहते हैं। 

उत्तर - सही। 

4. रचना के आधार पर नीचे लिखे वाक्यों के प्रकार लिखिए-

  1.  उसने मुझे उपहार भेजा किंतु वह मुझे नहीं मिला। 
  2. जब ही घंटी बजी, तो छात्र मैदान की ओर चल दिए। 
  3.  वह इतनी तेज चलता है इसलिए मैं उसके साथ नहीं जाता। 
  4. रीता गा रही है और कविता नाच रही है। 
  5.  यदि तुम परिश्रम करते तो सफल अवश्य होते। 
  6.  तुम चलोगे या तुम्हारा भाई। 
  7.  मीनाक्षी पड़ रही है। 
  8. श्याम ने खीर भाई। 

5. सही विकल्प पर सही चिन्ह लगाइए-

(क) किसी भी कथन का पूरा भाव प्रकट करने वाले सार्थक शब्द समूह के मेल को क्या कहते हैं 

  1. पदक्रम। 
  2. वाक्य। 
  3. अन्विति। 
उत्तर - 2. वाक्य। 

(ख) वाक्य के कितने अंग होते हैं?

  1. तीन 
  2. दो 
  3. पांच 

उत्तर - 2. दो। 

(ग) अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं?

  1.  पांच 
  2. आठ 
  3. सात 
उत्तर - 2. आठ। 

(घ) रचना के आधार पर वाक्य के कितने भेद होते हैं?

  1.  दो 
  2. तीन 
  3. चार 
उत्तर - 2. तीन। 

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अन्य महत्वपूर्ण टॉपिक जो की आपके लिए उपयोगी हैं - 

1. भाषा-बोली, लिपि और व्याकरण Language-Dialect, Script and Grammar

2. वर्ण विचार : Phonology

3. संधि : Joining

4.  शब्द-विचार: Morphology

5. उपसर्ग : Prefix

6.  प्रत्यय : Suffix

7. समास : Compound

रचनात्मक मूल्यांकन-1

8. शब्द-भंडार : Vocabulary

9. संज्ञा : Noun 

10. लिंग : Gender 

11. वचन : Number 

12. कारक : Case 

13. सर्वनाम : Pronoun 

14. विशेषण : Adjective 

रचनात्मक मूल्यांकन-2 

योगात्मक मूल्यांकन-1 

15. क्रिया : Verb 

16. काल : Tense 

17. वाच्य : Voice 

18. वाक्य विचार : Syntax 

19. विराम-चिन्ह : Punctuation Marks 

रचनात्मक मूल्यांकन-3 

20. मुहावरे और लोकोक्तियाँ : Idioms and Proverbs 

21. अनुच्छेद लेखन : Paragraph-Writing 

22. पत्र-लेखन : Letter-Writing 

23. निबंध-लेखन : Essay-Writing 

24. अपठित गद्यांश : Unseen Passage

रचनात्मक मूल्यांकन-4 

योगात्मक मूल्यांकन-2 

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