आज हम आपको बताने वाले हैं, प्रत्यय के बारे में इसके पहले हमने बात किया था उपसर्ग के बारे में। चलिए जानते हैं: प्रत्यय की परिभाषा, प्रत्यय के भेद और उपसर्ग और प्रत्यय में क्या अंतर है।
6. प्रत्यय : Gender
प्रत्यय किसे कहते हैं
भाषाविज्ञान में, प्रत्यय शब्द किसी मुख्य शब्द के बाद रखा जाता है। जो संज्ञा, विशेषण और क्रिया के व्याकरणिक मामले को इंगित करते हैं, और क्रियाओं का संयुग्मन बनाते हैं। एक विभक्ति प्रत्यय को कभी-कभी व्याकरणिक प्रत्यय भी कहा जाता है।
विभक्ति किसी शब्द के व्याकरणिक गुणों को उसकी वाक्य-विन्यास श्रेणी में बदल देती है। व्युत्पन्न प्रत्ययों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: वर्ग-परिवर्तन व्युत्पत्ति और वर्ग-बनाए रखने की व्युत्पत्ति।
परिभषा - वे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
प्रत्यय के उदाहरण
- दया + लु = दयालु
- लोहा + आर = लुहार
- नाटक + कार =नाटककार
- बड़ा + आई = बडाई
- सुन + आई = सुनाई
- समाज + इक = सामाजिक
- लेख + अक = लेखक
- भूल + अक्कड = भुलक्कड
- बिक + आऊ = बिकाऊ
- मोर + नी = मोरनी
- होन + हार = होनहार
- घट + इया = घटिया
- गाडी + वाला = गाड़ीवाला
उपरोक्त शब्दों के अंत में क्रमशः 'नी', 'आई' तथा 'अक' का प्रयोग किया गया है। ये प्रत्यय कहलाते हैं। ये शब्दांश मूल शब्द के अंत में जुड़कर शब्दों का निर्माण करते हैं।
प्रत्यय के भेद
प्रत्यय के दो भेद होते हैं -
- कृत प्रत्यय
- तद्धित प्रत्यय
1. कृत प्रत्यय किसे कहते हैं
कृत प्रत्यय - जो प्रत्यय क्रिया धातु के रूप के बाद लगते हैं तथा संज्ञा, विशेषण आदि शब्द बनाते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं। कृत प्रत्यय लगाकर बंनने वाले शब्द कृदंत कहलाते हैं;
कृत प्रत्यय के उदाहरण
तैराक, कसौटी, लिखावट, लेखक, गायक, पाठक आदि।
कृत प्रत्यय के प्रकार
कृत प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं -
- कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
- कर्मवाचक कृत प्रत्यय
- करणवाचक कृत प्रत्यय
- भाववाचक कृत प्रत्यय
- क्रियावाचक कृत प्रत्यय
1. कर्तृवाचक कृत प्रत्यय - जिन प्रत्यय धातुओं के अंत में लगाकर बनाए गए नए शब्दों के कर्ता का बोध हो उन्हें कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैस-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| इया | चूहा, लोटा | चुहिया, लुटिया |
| हार | होन, पालन | होनहार, पालनहार |
| आका | लड़, उड़ | लड़ाका, उड़ाका |
| वाला | घर, रख | घरवाला, रखवाला |
| इयल | अड़, मर | अड़ियल, मरियल |
| वान | बल, धन | बलवान, धनवान |
2. कर्मवाचक कृत प्रत्यय - जिन प्रत्यय धातुओं के अंत में लगाकर बनाए गए नए शब्दों से कर्म का बोध हो, उन्हें कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| नी | ओढ़, सूँघ | ओढ़नी, सूँघनी |
| हुई | सुन, देख | सुनी हुई, देखी हुई |
| ना | बचा, गा | बचाना, गाना |
| औना | बिछ, खेल | बिछौना, खिलौना |
3. करणवाचक कृत प्रत्यय - जिन प्रत्यय को क्रिया के अंत में लगाकर बनाए गए नए शब्दों से क्रिया अर्थात करण का बोध हो, उन्हें करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे -
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| आ | भूख, मेल | भूखा, मेला |
| नी | सूँघ, चट | सूँघनी चटनी |
| ई | बोल, रेत | बोली, रेती |
| ना | गा, बोल | गाना, बोलना |
4. भाववाचक कृत प्रत्यय - जिन प्रत्यय धातुओं के अंत में लगाकर बनाए गए नए शब्दों से भाव का बोध हो उन्हें भाववाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| आन | चढ़, थक | चढान, थकान |
| आई | लिख, पढ़ | लिखाई, पढ़ाई |
| आवट | थक, सजावट | थकावट, सजावट |
| आवा | भूल, छल | भुलावा, छलावा |
| आहट | गुर्रा, घबरा | गुर्राहट, घबराहट |
| औती | चुन, मन | चुनौती, मनौती |
5. क्रियावाचक कृत प्रत्यय - जिन प्रत्यय शब्दों के अंत में लगाकर बनाए गए नये शब्दों से क्रिया होने के भाव का बोध हो, उन्हें क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| एरा | लूट, मम | लुटेरा, ममेरा |
| या | खा, गा | खाया, गाया |
| आलु | दया, श्रद्धा | दयालु, श्रद्धालु |
| कर | पढ़, खा | पढ़कर, खाकर |
| ते | हँस, बोल | हँसते, बोलते |
| ता | खेल, बोल | खेलता, बोलता |
2. तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं
तद्धित प्रत्यय - जो प्रत्यय धातु को छोड़कर अन्य संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम और अव्यय के बाद लगाए जाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं;
तद्धित प्रत्यय के भेद
तद्धित प्रत्यय छः प्रकार के होते हैं -
- कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
- क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय
- भाववाचक तद्धित प्रत्यय
- संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
- लघुताववाचक तद्धित प्रत्यय
- स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय
1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय - इस प्रकार के प्रत्यय से कर्ता का बोध होता है इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है, इन तद्धित प्रत्ययों से करता का बोध होता है, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं। जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| आरी | पूजा, जुआ | पुजारी, जुआरी |
| क | बाल, चाल | बालक, चालक |
| दार | दूकान, जमीन | दुकानदार, जमींदार |
| आर | लोहा, सोना | लुहार, सुनार |
| एरा | साँप, लूट | सपेरा, लुटेरा |
| वाला | सब्जी, गाड़ी | सब्जीवाला, गाड़ीवाला |
2. क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय - जैसे की नाम से ही स्प्ष्ट है क्रम अर्थात एक के बाद दूसरे का आना ठीक है इस प्रकार के प्रत्यय शब्दों के अंत में जुड़कर क्रम संख्या का बोध कराते हैं, उन्हें क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| गुना | तीन, चार | तिगुना, चौगुना |
| ला | एक | पहला |
| हरा | एक, दो | एकहरा, दोहरा |
| सरा | दो, तीन | दूसरा, तीसरा |
| वाँ | पाँच, दस | पांचवां, दसवाँ |
3. भाववाचक तद्धित प्रत्यय - जो प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़कर भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण करते हैं, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| त्व | लघु, मम | लघुत्व, ममत्व |
| आवट | लिख, बना | लिखावट, बनावट |
| आपा | मोटा, बूढ़ा | मोटापा, बुढ़ापा |
| ई | भला, बुरा | भलाई, बुराई |
| आहट | चिकना, गरम | चिकनाहट, गरमाहट |
| इमा | लाल, महा | लालिमा, महिमा |
4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय - जो तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों के अंत में जुड़कर बनाए गए नए शब्दों से संबंध का बोध कराते हैं, उन्हें संबंध वाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| एरा | मम, फूफा | ममेरा, फुफेरा |
| इक | नीति, दिन | नैतिक, दैनिक |
| ई | पंजाब, गढ़वाल | पंजाबी, गढ़वाली |
| हाल | नानी, दादी | ननिहाल, ददिहाल |
5. लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय - जो प्रत्यय शब्दों के अंत में जुड़कर लघुता का बोध कराते हैं, उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| ई | टोकरा, छोकरा | टोकरी, छोकरी |
| इया | डिब्बा, खाट | डिबिया, खटिया |
| ड़ी | गट्ठा,टुकड़ा | गट्ठरी, टुकड़ी |
| री | कोठा, छाता | कोठरी, छतरी |
6. स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय - जो प्रत्यय शब्दों के अंत में जुड़कर स्त्रीलिंग शब्द का बोध कराते हैं, उन्हें स्त्रीलिंगवाचक प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
| प्रत्यय | मूल शब्द | नए शब्द |
|---|---|---|
| आइन | पंडित, गुरु | पंडिताइन, गुरुआइन |
| नी | शेर, मोर | शेरनी, मोरनी |
| इन | धोबी, नाग | धोबिन, नागिन |
| आनी | देवर, सेठ | देवरानी, सेठानी |
| इया | बूढा, चिड़ा | बुढ़िया, चिडिया |
| ई | लड़का, चाचा | लड़की, चाची |
ये तो थे हमारे हिंदी ग्रामर के अंतर्गत आने वाले प्रत्यय और उनके भेद तथा भेद के अंतरर्गत आने वाले प्रकार उनके उदाहरण के साथ। अब देखते हैं की उपसर्ग और प्रत्यय में क्या अंतर् है।
उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर
| उपसर्ग | प्रत्यय |
|---|---|
| उपसर्ग शब्द के आरम्भ में जुड़ते हैं। | प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ते हैं। |
| उपसर्ग के लगने से शब्द के अर्थ में पूरी तरह परिवर्तन आ जाता है। | प्रत्यय के लगने से शब्द के अर्थ में विशेष परिवर्तन नहीं होता। |
| उपसर्ग के पाँच भेद होते हैं। | प्रत्यय के दो भेद होते हैं। |
स्मरणीय बिंदु
- वे शब्द जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
- प्रत्यय के दो भेद होते हैं - 1. कृत प्रत्यय 2. तद्धित प्रत्यय
- कृत प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं- 1. कर्तृवाचक, 2. कर्मवाचक, 3. करणवाचक, 4. भाववाचक 5. क्रियावाचक
- तद्धित प्रत्यय छः प्रकार के होते हैं - 1. कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय, 2. क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय, 3. भाववाचक तद्धित प्रत्यय, 4. संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय, 5. लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय 6. स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय
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|---|
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