हमारे छत्तीसगढ़ के माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर के द्वारा संचालित विभिन्न स्कूलों में कराई जाने वाली परीक्षा में हमने देखा है की अपठित गद्यांश हमारे पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। जो की पांचवी से आरम्भ हो जाता है और यह लगभग हमारे 12वीं की परीक्षा तक चलता है।
अपठित गद्यांश
अब तो हाल ऐसा है की यह कम्पीटिशन परीक्षाओं में भी पूछा जाने लगा है। तो चलिए आज बात करते हैं इसी विषय पर जिसके बारे में विस्तार से चर्चा हम इस पोस्ट में करेंगे। Hello दोस्तों मेरा नाम है khilawan और आपका स्वागत है मेरे Blog में पिछले पोस्ट में मैंने आपके साथ शेयर किया था। निबंध लेखन के लिए आवश्यक जानकारियों को आज हम बात करने वाले हैं। अपठित गद्यांश के बारे में सम्पूर्ण जानकारी। तो चलिए शुरू करते हैं।
जिस गद्यांश को अपनी पाठ्य पुस्तक में पढ़ा नहीं गया हो, उसे अपठित गद्यांश कहते हैं। इसमें गद्यांश पर आधरित कुछ प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके निरंतर अभ्यास से विद्यार्थियों को अर्थ ग्रहण क्षमता का विकास होता है।
अपठित गद्यांश के प्रश्नों को हल करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान हमें रखना चाहिए -
- प्रश्नों के उत्तर लिखने से पहले गद्यांश को ध्यानपूर्वक दो-तीन बार पढ़ लेना चाहिए।
- प्रश्नों के उत्तर सरल, सुबोध व स्पष्ट होने चाहिए।
- दिए गए उत्तरों का संबंध गद्यांश से होना चाहिए।
अपठित गद्यांश के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं -
1. बहुत से लोगों से मित्रता करना भी ठीक नहीं है क्योंकि सच्ची और आदर्श मैत्री एक-दो से ही सम्भव है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी को भी अपने प्रेम और विश्वास में लेने से पहले खूब जाँच-परख लेना चाहिए और फिर धीरे-धीरे निरन्तर अपने प्रेम को प्रगाढ़ता प्रदान करते रहना चाहिए। प्रसिद्ध विद्वान ड्यूमाज का पक्की मित्रता का मंत्र बताते हुए कहना है कि मनुष्य जो स्वयं करे, उसे भूल जाए और उसका मित्र उसे सदैव याद रखे। मित्रता का यहीं आधार है। मिलने पर मित्र का आदर करना, पीठ पीछे उसकी प्रशंसा करना तथा आवश्यकता के समय उसकी सहायता करना ही मित्रता को स्थायी करने का मंत्र है।
अभी आपने जो अपठित गद्यांश पढ़ा उसके आधार पर इन प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
प्रश्न 1. मित्र की किस बात को याद रखना चाहिए?
उत्तर - मित्र ने हमारे साथ जो भलाई का काम किया हो, उसे याद रखना चाहिए।
प्रश्न 2. मित्र के मिलने पर क्या करना चाहिए?
उत्तर - मित्र के मिलने पर उसका आदर करना चाहिए।
3. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखो।
उत्तर - गद्यांश का उचित शीर्षक है "सच्ची मित्रता।"
2. सामाजिक समानता से अभिप्राय यह है कि सामाजिक क्षेत्र में जाति, धर्म, पेशे आदि के आधार पर पक्षपात न किया जाए। सब लोगों को एक समान समझा जाए। सबको एक जैसी सुविधाएँ दी जाएँ। हमारे देश में सामाजिक समानता का अभाव है। जाति-प्रथा के कारण करोड़ों व्यक्ति अछूत के रूप में भहिष्कृत हैं, उन्हें सामाजिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। इस प्रकार की असमानता को दूर होना आवश्यक है। नागरिक समानता का अर्थ है कि राज्य में नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हों। गरीब-अमीर तथा ऊँच-नीच का कोई भेद भाव न किया जाए। कोई भी अपराधी दंड से न बच सके। राज्य के प्रत्येक नागरिक को राज्य के उच्च पद को अपनी योग्यता के बल पर प्राप्त करने का अधिकार राजनीतिक समानता का द्योतक है।
ऊपर दिए गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
प्रश्न 1. हमारे देश में समाजिक असामनता मुख्यतः किस रूप में विद्यमान है? इसका क्या दुष्प्रभाव हुआ?
उत्तर - हमारे देश में सामाजिक असमानता मुख्यतः जाति-प्रथा के रूप में विद्यमान है। इसके आधार पर करोड़ो को अछूत कह दिया गया है।
प्रश्न 2. नागरिक समानता का क्या अर्थ है?
उत्तर - नागरिक समानता का अर्थ है कि धन, जाति तथा पद के आधार पर किसी से पक्षपात न किया जाए।
प्रश्न 3. राजनीतिक समानता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर - राजनीतिक समानता का अभिप्राय राजकार्य में सभी व्यक्तियों को समान रूप से भाग लेने तथा अपनी योग्यता के आधार पर उच्च सरकारी पद प्राप्त करने के अधिकार से है।
प्रश्न 4. उपर्युक्त गद्यांश उचित शीर्षक लिखो।
उत्तर - गद्यांश का उचित शीर्षक है - "समानता के विविध रूप।"
3. मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी जिले के लमही ग्राम में हुआ था। उनके पिता नाम अजायब राय था। उनका बचपन आर्थिक अभाव में बीता। प्रेमचंद जी की प्राथमिक शिक्षा मौलवियों की देख-रेख में हुई। उन्होंने वाराणसी से हाई स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण की; फिर एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक का कार्य आरम्भ किया। बाद में उन्होंने सब-डिप्टी इंस्पैक्टर ऑफ स्कूल के पद पर काम किया। सन 1920 में सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया तथा सारा जीवन साहित्य में लगा दिया। प्रेमचंद उर्फ़ धनपतराय का पहला विवाह सफल न हो सका। उन्होंने शिवरानी नामक बाल विधवा से दूसरा विवाह किया। प्रेमचंद जी ने 300 के लगभग कहानियाँ लिखीं, जो 'मानसरोवर' प्रेमचंद जी के प्रसिद्ध उपन्यास हैं। 8 अक्टूबर, 1936 में 56 वर्ष की आयु में प्रेमचंद जी का निधन हुआ।
ऊपर दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्लिखित प्रश्नों उत्तर लिखिए-
प्रश्न 1. प्रेमचन्द जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर - प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के लमही ग्राम में हुआ था।
प्रश्न 2. किस सन में प्रेमचंद जी ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दिया?
उत्तर - सन 1920 में प्रेमचंद जी ने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दिया।
प्रश्न 3. प्रेमचंद जी का निधन कब हुआ?
उत्तर - 8 अक्टूबर, 1936 को प्रेमचंद जी का निधन हुआ।
प्रश्न 4. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखो।
उत्तर - गद्यांश का उचित्त शीर्षक है - मुंशी प्रेमचंद।
आओ देखें हमने क्या जाना?
- ऐसा गद्यांश जीसका पूर्वकाल में अध्ययन न किया गया हो, वह अपठित गद्यांश कहलाता है।
- अपठित गद्यांश के उत्तर लिखने से पहले गद्यांश को ध्यान से पढ़ना चाहीये।
अभ्यास
सोचिए और बताइये -
1. अपठित गद्यांश से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - जिस गद्यांश को अपनी पाठ्य पुस्तक में पढ़ा नहीं गया हो, उसे अपठित गद्यांश कहते हैं।
2. अपठित गद्यांश के उत्तर देने से पहले किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए? बताओ।
उत्तर - अपठित गद्यांश के प्रश्नों को हल करने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान हमें रखना चाहिए -
- प्रश्नों के उत्तर लिखने से पहले गद्यांश को ध्यानपूर्वक दो-तीन बार पढ़ लेना चाहिए।
- प्रश्नों के उत्तर सरल, सुबोध व स्पष्ट होने चाहिए।
- दिए गए उत्तरों का संबंध गद्यांश से होना चाहिए।
1. निम्नलिखित अपठित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
1. पुष्प की सार्थकता सुगंधित होने में है, यद्यपि उसके अन्य गुण जैसे रंग, रूप आदि भी मन को प्रसन्न करते हैं। अगर पुष्प में सुगंध न हो, तो वह भाता नहीं है। इसी प्रकार मानव जीवन भी एक पुष्प है जो निरंतर इसी प्रकार सुगंधित होता है, पर यदि उसमें प्रेम रूपी सुगंध का समन्वय हो जाए, तो जीवन सार्थक हो जाता है। प्रेमरहित जीवन निरर्थक है। जीवन को यद्यपि अनेक गुणों से पूर्ण होना चाहिए परन्तु उसमें प्रेम की प्रमुखता अवश्य होनी चाहिए।
प्रश्न उत्तर इस प्रकार के हैं -
(क) पुष्प की सार्थकता किसमें है?
उत्तर - पुष्प की सार्थकता सुगंधित होने में है, यद्यपि उसके अन्य गुण जैसे रंग, रूप आदि भी मन को प्रसन्न करते हैं।
(ख) मानव जीवन कैसा होना चाहिए?
उत्तर - मानव जीवन को यद्यपि अनेक गुणों से पूर्ण होना चाहिए परन्तु उसमें प्रेम की प्रमुखता अवश्य होनी चाहिए।
(ग) मानव एवं पुष्प में क्या समानता होनी चाहिए?
उत्तर - जैसे पुष्प की सार्थकता तभी है जब वो सुगंधित हो उसी प्रकार जीवन भी एक पुष्प है जो निरन्तर इसी प्रकार सुगंधित होता है।
(घ) उपर्युक्त गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक लिखो।
उत्तर - जीवन और पुष्प।
2. 'निंदा' बड़ा भारी दोष है, किन्तु संतजन कहते हैं- 'निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय' अर्थात निंदक को सदैव अपने निकट रखो, इतना नजदीक कि उसके लिए, आंगन में कुटिया ही बना दो, क्योंकि वह हमारे स्वभाव को निर्मल रखता है। 'निंदा' उसकी आदत है, अतः वह निंदा करके आपके दोषों के विषय में बता देता है। यदि व्यक्ति इन दोषों को दूर कर ले तो वह दोष रहित हो जाता है। वस्तुतः निंदक ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित होकर ही यह कार्य करता है। स्वयं किसी कार्य में असमर्थ होने पर यदि कोई अन्य उसे करे तो यह देखना उसके लिए असहनीय हो जाता है। ऐसे में निंदा करके तुष्टि प्राप्त की जाती है। जितना परम सुख निंदक को निंदा करने में प्राप्त होता है, उतना किसी ईश्वर भक्त को भक्ति में भी नहीं मिलता होगा।
प्रश्न उत्तर इस प्रकार है -
(क) 'निंदा' दोष क्यों है?
उत्तर - निंदा दोष है क्योकि निंदक ईर्ष्या-द्वेष से प्रेरित होकर ही यह कार्य करता है।
(ख) गद्यांश के आधार पर लिखो की व्यक्ति दोषरहित कब हो सकता है?
उत्तर - गद्यांश के आधार पर व्यक्ति दोषरहित तभी हो सकता है जब वह निंदक की बातों को सुनकर अपने दोष को दूर करता जाए।
(ग) व्यक्ति निंदा क्यों करता है?
उत्तर - व्यक्ति निंदा इसलिए करता है क्योकि उसे निंदा करके तुष्टि प्राप्त होती है।
(घ) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर - उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक निंदा है।
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धन्यवाद!
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